ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह में पड़ती हैं अभी सावन का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या को सावन अमावस्या, सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं जो कि आज यानी 17 जुलाई दिन सोमवार हो मनाई जा रही हैं इसी दिन सावन के दूसरे सोमवार का व्रत पूजन भी किया जा रहा हैं।

ऐसे में शिव पूजा आराधना के लिए ये दिन किसी पर्व त्योहार से कम नहीं हैं। इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से भोलेनाथ की कृपा बरसती हैं। इस दिन पूजा पाठ के अलावा स्नान दान और पौधा रोपण करने का भी खास महत्व होता हैं साथ ही अमावस्या पर पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं, तो आज हम आपको सोमवती अमावस्या की पूजा का मुहूर्त और विधि के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।

सावन सोमवती अमावस्या का मुहूर्त—
सावन अमावस्या तिथि का आरंभ— 16 जुलाई की रात्रि 10 बजकर 8 मिनट पर
सावन अमावस्या तिथि का समापन— 18 जुलाई की सुबह 12 बजकर 1 मिनट पर

पूजन की विधि—
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें फिर भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग का गंगाजल और तिल से अभिषेक करें भगवान को बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें चांदी, सफेद वस्त्र गरीबों में बांट दें। इसके बाद पीपल, तुलसी, वट, आंवला आदि का पौधा जरूर लगाएं। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अगर सप्तधान्य का दान किया जाए तो नवग्रहों की शांति होती हैं। इसके अलावा पितृदोष से मुक्ति के लिए सोमवती अमावस्या के दिन दोपहर के समय जल में काला तिल, कुश, पुष्प डालकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।


