Samachar Nama
×

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कर लें भगवान विष्णु के इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर होगी हर बाधा

www.samacharnama.com

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है पंचांग के अनुसार अभी कार्तिक माह चल रहा है और इस माह पड़ने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा है इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है

Kartik purnima 2024 read vishnu chalisa path on purnima puja

मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर स्नान दान व पूजा पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर दिन शुक्रवार यानी आज मनाई जा रही है इसी दिन देव दीपावाली और गंगा स्नान भी किया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य फलों में वृद्धि होती है, लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन विष्णु चालीसा का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो जीवन की हर बाधाएं दूर हो जाती है और सुख समृद्धि बढ़ती है। 

Kartik purnima 2024 read vishnu chalisa path on purnima puja

श्री विष्णु चालीसा 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय
सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूँ
दीजै ज्ञान बताय॥

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥ 1 ॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥ 2 ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥ 3 ॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥ 4 ॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥ 5 ॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥ 6 ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥ 7 ॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥ 8 ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥ 9 ॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण॥ 10 ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥ 11 ॥

भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥ 12 ॥

आप वाराह रूप बनाया।
हिरण्याक्ष को मार गिराया॥ 13 ॥

Kartik purnima 2024 read vishnu chalisa path on purnima puja

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥ 14 ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥ 15 ॥

देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छबि से बहलाया॥ 16 ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया।
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥ 17 ॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥ 18 ॥

वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥ 19 ॥

मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥ 20 ॥

असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥ 21 ॥

हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥ 22 ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥ 23 ॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥ 24 ॥

देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥ 25 ॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥ 26 ॥

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥ 27 ॥

गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥ 28 ॥

हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥ 29 ॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥ 30 ॥

चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥ 31 ॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥ 32 ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥ 33 ॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥ 34 ॥

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भाँति मैं करहुँ समर्पण॥ 35 ॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥ 36 ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥ 37 ॥

पाप दोष संताप नशाओ।
भव बन्धन से मुक्त कराओ॥ 38 ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥ 39 ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥ 40 ॥

इति श्री विष्णु चालीसा ||

Kartik purnima 2024 read vishnu chalisa path on purnima puja

Share this story