ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को विशेष माना जाता हैं वही पंचांग के अनुसार हर मास चंद्र मास में दोनों पक्षों, शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता हैं यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होता हैं व्रत को करने से शिव की कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही में इस व्रत का फल, वर के अनुसार मिलता हैं इस बार अश्विन मास में शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर दिन रविवार यानी की कल किया जाएगा। इसलिए इसबार का प्रदोष व्रत रवि प्रदोष कहलाएगा। तो आज हम आपको प्रदोष व्रत के लाभ, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित किया जाता हैं इस दिन व्रत करने से शिव की कृपा से सुख समृद्धि व निरोगी काया की प्राप्ति होती हैं रविवार का दिन भगवार सूर्य नारायण को समर्पित होता हैं इसलिए इस दिन व्रत पूजन करने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती हैं जिससे आपको मान प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती हैं
जानिए प्रदोष व्रत का मुहूर्त—
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ— 17 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को शाम 5 बजकर 39 मिनट से
अश्विन मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त- 18 अक्टूबर 2021 दिन सोमवार शाम 06 बजकर 07 मिनट पर
पूजन का समय- शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक
जानिए पूजन सामग्री लिस्ट— बेलपत्र, भांग, धतूरा,शहद, कपूर, धूप, दीपक, घी, सफेद चंदन, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का पुष्प, सफेद मिठाई, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री आदि व एक जल से भरा हुआ कलश।
प्रदोष व्रत पूजन विधि—
प्रात: जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में धूप दीपक प्रज्वलित करके व्रत का संकल्प करें। अब तांबे के पात्र में जल लेकर उसमें रोली वह पुष्प डालकर भगवान सूर्यदेव की पूजा करें। पूरे दिन निराहार रहकर शिव का स्मरण करते हुए व्रत करें। शाम को प्रदोष काल में पुन शिव का पूजन करें। दूध, दही, शहद आदि से शिव जी का अभिषेक करें। इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करके चंदन अर्पित करें। इसके बाद फल पुष्प और मिष्ठान आदि अर्पित करें। शिव के पंचाक्षरी मंत्र का उच्चारण करते हुए विधिवत पूजन आरती करें।