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दर्श अमावस्या पर इस विधि से करें तर्पण, पितृ दोष के दुष्प्रभाव से होगा बचाव 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास बताया गया है जो कि हर माह में एक बार पड़ती हैं पंचांग के अनुसार अभी चैत्र का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि पूर्वजों को समर्पित है। इस दिन पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करना उत्तम माना जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को जल, तिल और अन्न अर्पित करते हैं।

chaitra darsh amavasya 2025 tarpan and pinddaan easy vidhi and significance

चैत्र अमावस्या के दिन दान पुण्य करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि लोग अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को इस दिन दान देते हैं। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करना भी अच्छा माना जाता है ऐसा करने से देवी देवताओं की कृपा बरसती हैं। इस बार चैत्र अमावस्या 29 मार्च यानी आज मनाई जा रही है इस दिन स्नान दान के साथ ही पितरों का तर्पण करना भी लाभकारी होता है तो आज हम आपको तर्पण की सरल विधि बता रहे हैं। 

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तर्पण की सरल विधि—
चैत्र अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद तर्पण के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करें। पितरों को तर्पण देने के लिए जौ, कुश, गुड़, घी, साबुत चावल और काले तिल का प्रयोग करें। पितरों का तर्पण करते वक्त उनका ध्यान जरूर करें। इसके बाद जल लेकर अपने पितरों को अर्पित करें। पितरों की पूजा के बाद पशु पक्षियों को भोजन कराएं। इसके अलावा गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी दें। स्कंद पुराण के अनुसार दर्श अमावस्या के दिन पितरों की मुक्ति और उन्हें प्रसन्न करने के लिए गंगा में जौ, कुश, गुड़, घी, साबुत चावल और काले तिल और शहद मिली खीर का तर्पण करें। माना जाता है कि ऐसा करने से पितरो को 100 साल तक संतुष्टी प्राप्त होती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 

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पिंडदान की सरल विधि—
दर्श अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करें इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा करें और उन्हें जल चढ़ाएं। फिर अपने पूर्वजों की तस्वीर स्टैंड पर रख दें। गाय को गोबर, आटे, तिल और जौ से एक गेंद बनाएं। पिण्ड तैयार कर उसे पितरों को चढ़ाएं। पितृ पापों से मुक्ति के लिए अपने पूर्वजों का ध्यान करें और मंत्र जाप करें। मान्यता है कि इस विधि से पिंडदान करने से पितृदोष नहीं लगता है। 

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