ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन परशुराम जयंती को विशेष माना गया है जो कि भगवान विष्णु के परशुराम स्वरूप को समर्पित होता है इस दिन भगवान परशुराम की विधिवत पूजा आराधना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है परशुराम जयंती पर भगवान परशुराम की पूजा का विधान होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम श्री हरि विष्णु के छठें अवतार है। जिनका जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इस बार परशुराम जयंती का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा। इसी दिन अक्षय तृतीया भी पड़ रही है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा परशुराम जयंती से जुड़ी अन्य जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
परशुराम जयंती की तारीख और मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई की सुबह 4 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 11 मई को दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार परशुराम जयंती का पर्व इस साल 10 मई को मनाया जाएगा। भगवान परशुराम जी का जन्म तृतीया तिथि के प्रदोष काल में हुआ था।
यही वजह है कि भगवान परशुराम की पूजा शाम के समय की जाएगी। परशुराम जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 14 मिनट से लेकर 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। प्रदोष काल में पूजा का समय शाम 5 बजकर 21 मिनट से रात 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में भगवान की पूजा करना लाभकारी होगा।