ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: शारदीय नवरात्रि का आज आखिरी दिन यानी नवमी तिथि हैं पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी कहते हैं महानवमी के दिन दुर्गा मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा होती हैं मान्यता हैं कि माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भय, रोग और शोक का अंत होता हैं
माता की कृपा से भक्तों को सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती हैं महानवमी के दिन हवन और कन्या पूजन का भी विधान हैं तो आज हम आपको महानवमी कितने बजे तक रहेगी और कन्या पूजन का मुहूर्त क्या हैं ये बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 13 अक्टूबर दिन बुधवार की रात 8 बजकर 7 मिनट से आरंभ हो चुकी हैं और इसका समापन 14 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर होगा। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी।
जानिए महानवमी का शुभ योग—
महानवमी के दिन सुबह 9 बजकर 36 मिनट से रवि योग का शुभ संयोग बन रहा हैं रवि योग 15 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
इन मुहूर्त में न करें कन्या पूजा—
राहुकाल- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक।
यमगंड- सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक।
गुलिक काल- सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक।
दुर्मुहूर्त काल- सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक।
जानिए कन्या पूजन विधि—
कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं और एक लड़के की जरूरत होती हैं नौ कन्याओं को माता का स्वरूप और लड़के को भैरव का स्वरूप मानकर पूजन किया जाता हैं सबसे पहले कन्याओं और लड़के के पैरों को साफ जल से धोएं और उन्हें आसन पर बिठाएं। सभी कन्याओं और लड़के को तिलक करें। इसके बाद कन्याओं और भैरव स्वरूप लड़के की आरती करें। कन्याओं को भोजन खिलाएं। कन्याओं को भोजन खिलाने से पहले मंदिर में माता को भोग जरूर लगाएं। कन्याएं जब भोजन कर लें तो फिर उन्हें प्रसाद के रूप में फल दें और अपने इच्छा अनुसार दक्षिण जरूर दें। सभी कन्याओं और भैरव स्वरूप लड़के के चरण स्पर्श भी करें। कन्याओं को सम्मान पूर्वक विदा करें ऐसा करने से कन्याओं के रूप में माता आती हैं।