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Chaitra Navratri 2025 30 मार्च से शुरू होगी चैत्र नवरात्रि, जान लें कलश स्थापना की विधि और मंत्र 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन नवरात्रि को बेहद ही खास माना जाता है जो कि साल में चार बार पड़ती है जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है और दो अन्य नवरात्रि होती है जिसमें शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि आती है।

पंचांग के अनुसार नवरात्रि व्रत माता रानी की पूजा अर्चना को समर्पित होता है जो कि पूरे नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति की उपासना में लीन रहते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से देवी कृपा बरसती है और कष्ट दूर हो जाते हैं।

इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च से हो रहा है और समापन 6 अप्रैल को राम नवमी के साथ हो जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है ऐसे में हम आपको कलश स्थापना की सरल विधि बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं। 

कलश स्थापना की विधि—
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना चाहते हैं तो उसे अच्छी तरह से साफ कर लें। स्थापना से पहले उस स्थान पर लकड़ी का एक पटिया रखें जो आकार में थोड़ा बड़ा हो। अब इस पर सफेद वस्त्र बिछाएं। इसके उपर मिट्टी की मटकी या तांबे का कलश रख दें। ध्यान रखें कि स्थापना के बाद ये कलश हिलना डुलना नहीं चाहिए।

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अब कलश में साफ जल भरें और इसके बाद चावल, पुष्प, दूर्वा, कुमकुम, साबूत हल्दी और पूजा की सुपारी डाल दें। इसके बाद कलश के उपर नारियल रखकर इसे ढंक दें। कलश पर स्वस्तिक का निशान बनाएं और मौली का धागा बांध दें। इस विधि से कलश स्थापना करके पूजा पाठ करने से लाभ मिलता है और देवी मां प्रसन्न होकर कृपा करती है।

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