
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है पंचांग के अनुसार अभी फाल्गुन मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या के नाम से जाना जाता है जो कि बेहद ही खास होती है
अमावस्या के दिन स्नान, दान और पूजा पाठ करना लाभकारी होता है मान्यता है कि इस दिन स्नान दान और व्रत करने से कष्टों का निवारण हो जाता है इस साल फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी यानी आज मनाई जा रही है इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ करना लाभकारी माना जाता है लेकिन इसी के साथ ही अगर फाल्गुन अमावस्या के दिन व्रत कथा पढ़ी जाए तो व्रत पूजन का पूर्ण फल मिलता है।
फाल्गुन अमावस्या की कथा—
एक गांव में ब्राह्मण परिवार था जिसमें पति-पत्नी और उनकी एक पुत्री रहती थी. उनका जीवन सामान्य चल रहा था. उनकी पुत्री धीरे-धीरे बड़ी होने लगी और बढ़ती आयु के साथ उसमें स्त्रियों के गुणों का विकास होने लगा था. वह बहुत सुंदर, सुशील और सर्वगुण सम्पन्न थी लेकिन गरीब होने की वजह से उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन उस ब्राह्मण के घर पर एक साधु महाराज पहुंचे.
ब्राह्मण पुत्री ने साधु महाराज की खूब सेवा की और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर साधु महाराज ने कन्या को लंबी उम्र का आशीर्वाद. लेकिन यह भी बताया कि उसके हथेली में विधवा योग है. इससे चिंतित होकर ब्राह्मण परिवार ने साधु से इस योग का कोई उपाय पूछा. तब साधु ने कुछ देर सोच-विचार के बाद बताया कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. वह महिला बहुत ही संस्कारों से संपन्न, पतिव्रता और निष्ठावान है.
अगर आपकी कन्या उस महिला की सेवा करे और इसके विवाह में वह महिला अपनी मांग का सिंदूर लगा दें, तो इस कन्या की कुंडली का विधवा योग दूर हो सकता है. साधु की यह बात सुनकर ब्राह्मण ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने की बात कही और अगले दिन कन्या सुबह उठकर सोना धोबिन के घर चली गई. फिर रोजाना वह धोबिन के घर की साफ-सफाई और सारे काम अपने घर वापस चली जाती थी.
एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो सवेरे उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता है. तब बहू ने कहा, “मांजी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं, मैं तो देर से उठती हूं. इसके बाद दोनों सास-बहू निगरानी करने लगी कि कौन सवेरे ही उनके घर का सारा काम करके चला जाता है.
कई दिनों बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या सुबह में उनके घर आती है और सारे काम करके चली जाती है. जब वह कन्या जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी और पूछने लगी कि वह कौन है जो ऐसे छुपकर उसके घर में काम करती है. तब कन्या ने साधु की कही गई सारी बात बताई. सोना धोबिन पतिव्रता थी और उसमें तेज था इसलिए वह इस बात के लिए तैयार हो गई.
सोना धोबिन के पति की तबियत थोड़ी खराब थी, इसलिए उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने के लिए कहा. सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगाया, तो उसके पति की मृत्यु हो गई. थोड़े समय बाद उसे इस बात का पता चला, वह घर से निर्जल ही चली थी. सोना धोबिन यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर उसकी परिक्रमा करने के बाद ही जल पिएगी.
उस दिन फाल्गुन अमावस्या थी. उस ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की और फि जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसका पति वापस जीवित हो गया. ऐसे में माना जाता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.