Samachar Nama
×

Makar Sankranti 2025 इस बेस्ट आरती से करें भगवान सूर्यदेव को खुश, दूर होंगे जीवन के सारे दुख

www.samacharnama.com

ज्योतिष न्यूज़ डेस्कः सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन मकर संक्रांति को बहुत ही खास माना जाता है जो कि सूर्य को समर्पित दिन होता है इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ का विशेष विधान होता है मान्यता है कि मकर संक्रांति के पावन दिन सूर्य साधना करने से आरोग्यता का वरदान मिलता है और दुख संकट में कमी आती है।

makar sankranti 2025 read suryadev aarti on makar sankranti

इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी यानी आज मनाया जा रहा है। इस पावन दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा विधिवत करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और कष्ट दूर हो जाते हैं, इसी के साथ ही अगर आज पूजा के बाद भगवान सूर्यदेव की आरती पढ़ी जाए तो भगवान प्रसन्न होकर भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री सूर्यदेव की आरती। 

makar sankranti 2025 read suryadev aarti on makar sankranti

भगवान सूर्यदेव की आरती—

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

makar sankranti 2025 read suryadev aarti on makar sankranti

Share this story