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जन्माष्टमी विशेष: जन्माष्टमी पर पंचामृत बनाने की पारंपरिक विधि

जयपुर । 23 अगस्त को श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी का त्याहार मनाया जाने वाला हैं। इस दिन भक्त श्री कृष्ण का व्रत रहकर पूजा पाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन पबर्ण श्रृद्धा से श्री कृष्ण की भक्ति करने से समस्त कष्टों का नाश होता हैं। ऐसा माना जाता
जन्माष्टमी विशेष: जन्माष्टमी पर पंचामृत बनाने की पारंपरिक विधि

जयपुर । 23 अगस्त को श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी का त्याहार मनाया जाने वाला हैं। इस दिन भक्त श्री कृष्ण का व्रत रहकर पूजा पाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन पबर्ण श्रृद्धा से श्री कृष्ण की भक्ति करने से समस्त कष्टों का नाश होता हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के लिए व्रत रहकर उनकी पूजा करने के बाद उनकी प्रिस वस्तुओं का भोग लगाने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इस लिए आज हम आपके लिे इस आर्टिकल में जन्माष्मी के दिन भोग बनाने की पौराणिक तथा पारंपरिक विधि बताने जा रहे हैं।
जन्माष्टमी विशेष: जन्माष्टमी पर पंचामृत बनाने की पारंपरिक विधि
जन्माष्टमी के दिन प्रसाद के रूप में भगवान श्री कृष्ण को नैवेद्य / भोग में पंचामृत अवश्‍य चढ़ाना चाहिए। दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। पंचामृत का अर्थ है ‘पांच अमृत’। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से श्र‍ी कृष्ण प्रसन्न होते है। पंचामृत बनाने की विधि निम्न लिखित हैं।

पंचामृत बनाने की सरल एवं पारंपरिक विधि :-

सामग्री : 250 मिली गाय का दूध (ताजा), 2 टेबल चम्मच मिश्री पिसी हुई, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच देशी घी, 2 चम्मच ताजा दही, 2-3 तुलसी के पत्ते।
जन्माष्टमी विशेष: जन्माष्टमी पर पंचामृत बनाने की पारंपरिक विधि
विधि :

1. सबसे पहले गाय के ताजे दूध में पिसी मिश्री, शहद, दही एवं घी मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें।

2. इसमें तुलसी के पत्ते मिलाएं।

3. पंचामृत तैयार है।

इस प्रकार दूध, चीनी, शहद दही और घी आदि पांच अमृतों को मिलाकर ही पंचामृत बनाया जाता है। पंचामृत का सेवन कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। इसके सेवन से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
जन्माष्टमी विशेष: जन्माष्टमी पर पंचामृत बनाने की पारंपरिक विधि

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