ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन वरद चतुर्थी व्रत को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में पड़ती है। इसका एक और नाम तिलकुंद चतुर्थी भी है। इस नि महिलाएं भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं वही संध्याकाल चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन कर अपना व्रत खोलती है।
मान्यता है कि वरद चतुर्थी व्रत पूजन करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है साथ ही दुख परेशानियां भी दूर हो जाती हैं, आज यानी 1 फरवरी दिन शनिवार को वरद चतुर्थी का व्रत किया जा रहा है, तो ऐसे में हम आपको पूजा की सरल विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
वरद चतुर्थी व्रत पूजा विधि—
आपको बता दें कि आज के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें अब हाथ में जल और चावल लेकर व्रत पूजा का संकल्प करें। दिनभर कुछ भी खाए पिएं नहीं। अगर ऐसा संभव न हो तो आप फलाहार ग्रहण कर सकती है। शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर एक चौकी पर गणपति की प्रतिमा स्थापित कर घी का दीपक जलाएं। भगवान गणेश को हार पहनाएं। इसके बाद कुमकुम का तिलक लगाएं। अब एक एक करके फल, पुष्प, चावल, रोली और मौली अर्पित करें पूजा के दौरान ऊं गं गणपत्यै नम: इस मंत्र का जाप करें अंत में तिल गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं इसके बाद भगवान की आरती भक्ति भाव से करें। अब सभी में प्रसाद बांटें।
वरद चतुर्थी की पूजा मुहूर्त—
आपको बता दें कि वरद चतुर्थी व्रत की पूजा का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 38 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक का है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 1 बजकर 2 मिनट तक है यह अभिजीत मुहूर्त है। इसके अलावा तीसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 25 मिनट से 4 बजकर 47 मिनट तक है।