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Govardhan puja 2024 महाराज गोवर्धन को करना है प्रसन्न, तो पूजा के दौरान जरूर करें ये छोटा सा काम, दो मिनट के वीडियो में देखें सबसे उत्तम मुहूर्त

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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन दिवाली को बहुत ही खास माना जाता है जो कि पूरे पांच दिनों तक मनाई जाती है इसकी शुरूआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज के दिन हो जाता है दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।

इस दिन भगवान कृष्ण और गायों की पूजा का विधान होता है। गोवर्धन को कुछ जगहों पर अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा की जाती है। इस साल दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा की जाएगी। मगर तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गोवर्धन पूजा में पढ़ी जानें वाली महाराज गोवर्धन की आरती बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

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कब मनाया जाएगा गोवर्धन पूजा—
हिंदू पंचांग के अनुसार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है लेकिन इस बार दिवाली की वजह से गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर भी लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं। इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो रही है और अगले दिन यानी 2 नवंबर को रात 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। वही उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा। 

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गोधर्वन पूजा का शुभ मुहूर्त—
गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। इसमें गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट के बीच रहेगा। इस समय में गोवर्धन पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। साथ ही साथ भगवान कृष्ण की कृपा से धन धान्य में वृद्धि होगी। 

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।।श्री गोवर्धन महाराज की आरती ।।

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।


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