
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन फुलेरा दूज को बेहद ही खास माना गया है जो कि राधा कृष्ण को समर्पित होता है। यह पर्व सभी के लिए खास महत्व रखता है खासकर मथुरा वृन्दावन में फुलेरा दूज का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
इस दिन ब्रजवासी खुशी और उत्साह के साथ फूलों की होली खेलते हैं। इस दिन सबसे पहले राधा कृष्ण पर फूल बरसाएं जाते हैं इसके बाद माखन मिश्री का भोग लगता है। फिर लोग एक दूसरे पर फूल बरसाते हैं। मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भगवान कृष्ण ने फूलों वाली होली खेली थी।
इस साल फुलेरा दूज का पर्व 1 मार्च दिन शनिवार यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है
इसके अलावा आज के दिन अगर तुलसी जी की विधिवत पूजा की जाए साथ ही तुलसी चालीसा का पाठ किया जाए तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर कृपा करती हैं और आर्थिक संकट को दूर कर देती हैं तो हम आपके लिए लेकर आए हैं तुलसी चालीसा पाठ।
यहां पढ़ें तुलसी चालीसा पाठ—
दोहा
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय। जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी। दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।। विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी। भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा। करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा। तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी। वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई। कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी। तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता, देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया। नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी। नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि। नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि। जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ। करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं। क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै। जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा। प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे। करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की। यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं। है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी। भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।