
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व है लेकिन भीष्म द्वादशी को बेहद ही खास माना गया है जो कि पितामह भीष्म को समर्पित है पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म ने प्राण त्याग दिए थे। इसी महीने की द्वादशी तिथि को पांडवों ने उनका तर्पण और पिंडदान किया था।
इसी तिथि पर भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है मान्यता है कि भीष्म द्वादशी के दिन व्रत पूजन करने से सभी दुखों का निवारण हो जाता है। इस साल भीष्म द्वादशी का पर्व 9 फरवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर कुछ उपायों को किया जाए तो पितृदोष दूर हो जाता है, तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
भीष्म द्वादशी पर करें आसान उपाय—
ज्योतिष अनुसार भीष्म द्वादशी के दिन ऊं नमो नारायणाय नम: आदि नामों से भगवान नारायण का स्मरण करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा भीष्म द्वादशी के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं, मछलियों के लिए तालाब नदी में आटे की गोलियां बनाकर डालें।
साथ ही पक्षियों के लिए छत पर दाना और पानी की व्यवस्था करें। ऐसा करने से ईश्वर कृपा बरसती है और परेशानियां दूर हो जाती हैं। भीष्म द्वादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान जरूर करें। ऐसा करने से पितृदोष दूर हो जाता है।