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28 अगस्त को बलराम जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि

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जयपुर अध्यात्म डेस्क: हिंदू धर्म में बलराम जयंती यानी हलछठ को विशेष तौर पर मनाया जाता हैं इस बार हलछठ का पर्व 28 अगस्त को पड़ रहा हैं पंचांग के मुताबिक यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता हैं मान्यताओं के मुताबिक इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था।

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बलराम जी का प्रधान शस्त्र हल और मूसल हैं इसी कारण उन्हें हलधर भी कहते हैं इस पर्व को हरछठ के अलावा कुछ पूर्वी भारत में ललई छठ के रूप में मनाया जाता हैं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के अवतार में जन्म लिया था तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इस पर्व के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।  

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यह पूजन सभी पुत्रवती महिलाएं करती हैं यह व्रत पुत्रों की लंबी आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता हैं इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी या चीनी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं। इस दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए पूजन के बाद पूरे दिन निराहार रहना चाहिए फिर शाम के वक्त पूजा आरती के बाद फलाहार ग्रहण करना चाहिए इस व्रत को करने से व्रती को धन धान्य, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती हैं।

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इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित माना गया हैं इस दिन बिना हल चले धरती का अन्न व शाक भाजी खाने का विशेष महत्व होता हैं इस व्रत को पुत्रवती महिलाओं के लिए विशेष माना जाता हैं हरछठ के दिन पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को पसही के चावल और महुए का पारण करने की मान्यता हैं। इस व्रत को करने से पुत्र को दीर्घ आयु के साथ साथ निरोगी जीवन भी प्राप्त होता हैं कार्यों में सफलता और करियर में तरक्की प्राप्त होती हैं।  

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