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जन्माष्टमी के 4 दिन बाद रखा जाता हैं बछ बारस का व्रत, इस दिन होती है गाय-बछड़े की पूजा

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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: व्रत त्योहारों को हिंदू धर्म में खास महत्व दिया जाता हैं वही हर साल जन्माष्टमी के चार दिन बाद भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का पर्व मनाया जाता हैं इस साल ये 3 सितंबर को मनाया जाएगा। पंचांग मतभेद के चलते ये पर्व 4 सितंबर को भी मनाया जाएगा।

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बछ बारस पर्व के दौरान गाय और बछड़े की पूजा की जाती हैं इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती हैं गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता हैं और इस दिन गाय की पूजा करने से सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं भाद्रपद में पड़ने वाले इस पर्व को गोवत्स द्वादशी या बछ बारस के नाम से जाना जाता हैं, तो आज हम आपको इस व्रत के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।  

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जन्माष्टमी के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व का भी अपना ही अलग महत्व होता हैं इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सवेरे स्नान करके साफ वस्त्र धारण करती हैं इसके बाद गाय और उसके बछड़े को स्नान कराया जाता हैं दोनों को नए वस्त्र ओढ़ाए जाते हैं गाय और बछ़ड़े को पुष्पों की माला पहनाएं, दोनों के माथे पर तिलक लगाएं औश्र सीगों को सजाएं। इसके बाद एक तांबे के पात्र में अक्षत, तिल, जल, सुगंध और पुष्पों को मिला लें और इसे 'क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते। सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥' मंत्र का उच्चारण करते हुए गौर प्रक्षालन करें।

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गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं। बछ बारस की कथा सुनने और दिनभर व्रत रखें। रात को अपने इष्ट और गौ माता की आरती करके व्रत खोलें और भोजन करें। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गाय के दूध, दही और चावल नहीं खाने चाहिए। बाजरे की ठंडी रोटी खाएं। 

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