ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को बेहद ही खास माना जाता है वही पंचांग के अनुसार जया पार्वती व्रत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है इसे विजया व्रत के नाम से भी जाना जाता है यह व्रत शादीशुदा महिलाओं और कन्याओं के लिए बेहद मायने रखता है

सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती है जबकि कन्याएं अच्छे वर पाने की लालसा से यह व्रत रखती है भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए यह कठिन व्रत पांच दिनों में पूरा किया जाता है तो आज हम आपको इस व्रत के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।

जया पार्वती व्रत की तिथि और मुहूर्त—
आपको बता दें कि जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन आरंभ होकर के कृष्ण पक्ष के तृतीया के दिन समाप्त होता है पांच दिनों तक चलने वाला जया पार्वती व्रत 12 जुलाई दिन मंगलवार को आरंभ होकर 17 जुलाई दिन रविवार को समाप्त होगा।

जया पार्वती व्रत की पूजा विधि और महत्व—
जया पार्वती का व्रत करने वाली महिलाएं व्रत के शुरू होने के दिन एक बर्तन में गेहूं की बाली को रखकर उसे उपर से ढक देती है उसे अपने घर के किसी कोने पर स्थापित करती हैं या मंदिर में ले जाकर स्थापित करती हैं और इस पर रोज सुबह हल्दी कुमकुम का टीका लगाती हैं उन्हें रूई की माला पहनाई जाती है

शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से यह व्रत पूरे मन से रखती है। आपको बता दें कि भगवान शिव और माता पार्वती की पांच दिनों तक विधि विधान से पूजा आराधना करने पर व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है व्रत के समय सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को अपने घर पर बुलाती है उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती है व्रत पारण करते वक्त रात्रि का जागरण किया जाता है अगले दिन उपवास समाप्त किया जाता है।


