ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाई जाती है इस बार गणगौर तीज का व्रत 4 अप्रैल 2022 दिन सोमवार को मनाया जाएगा गणगौर पूजा का विशेष महत्व माना गया है इस पर्व में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि विधान से की जाती है यहां गण का अर्थ भगवान शिव और गौर का अर्थ माता पार्वती से है खासतौर पर गणगौर तीज का व्रत मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है

गणगौर का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर चैत्र शुक्ल की तृतीया को गणगौर तीज पर व्रत पूजन के साथ समापन होता हैं इस तरह यह पर्व पूरे 17 दिनों तक चलता है ये दिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती है जबकि विवाह योगय कन्याएं मनपसंद वर या जीवनसाथी की कामना से गणगौर तीज व्रत रखती है तो आज हम आपको गणगौर तीज का महत्व बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

गणगौर तीज की तिथि—
तृतीया तिथि आरंभ: 03 अप्रैल, रविवार दोपहर 12:38 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त : 04 अप्रैल, सोमवार दोपहर 01:54 बजे पर
उदयातिथि के आधार पर गणगौर तीज व्रत 04 अप्रैल को रखा जाएगा।
गणगौर तीज पूजन मुहूर्त—
शुभ मुहूर्त आरंभ: 04 अप्रैल, सोमवार, दोपहर 11:59 बजे से
शुभ मुहूर्त समाप्त: 04 अप्रैल, सोमवार,दोपहर 12:49 बजे पर
गणगौर तीज पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं।
गणगौर तीज पर बन रहे शुभ योग—
प्रीति योग आरंभ: 04 अप्रैल, सोमवार प्रातः 07:43 बजे से
प्रीति योग समाप्त:05 अप्रैल, मंगलवार, प्रातः 07:59 बजे तक
रवि योग आरंभ: 04 अप्रैल, सोमवार दोपहर 02:29 बजे से
रवि योग समाप्त: 05 अप्रैल, मंगलवार प्रातः 06:07 बजे पर

गणगौर तीज कुंवारी और विवाहित महिलाए अपने सौभाग्य और अच्छे वर की कामना करने के लिए करती है इस दिन माता पार्वती और शिव की आराधना की जाती है 17 दिन चलने वाले इस पर्व का समापन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर होता है कंवारी, विवाहित और नवविवाहित महिलाएं इस दिन नदी, तालाब या शुद्ध स्वच्छ शीतल सरोवर पर जाकर गीत गाती है और गणगौर को विसर्जित करती हैं।


