ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत पूजा को बेहद ही शुभ और पवित्र माना जाता है वही पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास की षष्ठी को हल षष्ठी का त्योहार मनाया जाता है इस बार यह व्रत 17 अगस्त दिन बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था इस पर्व को हलछठ और ललही छठ के नाम से जाना जाता है

महिलाएं अपने बेटे की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए यह उपवास रखती है वही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से पुत्र के सारे कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन में खूब तरक्की भी प्राप्त होती है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा हल षष्ठी व्रत के नियम और उसकी पूजन विधि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।

जानिए हल षष्ठी व्रत का मुहूर्त—
हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 17 अगस्त बुधवार को शाम 6.50 बजे से शुरू होकर अगले दिन 18 अगस्त को रात 8.55 बजे तक रहेगी।
जानिए हल षष्ठी व्रत की पूजन विधि—
आपको बता दें कि इस दिन प्रात: काल स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें हलछठ की पूजा किए बिना व्रती पानी भी नहीं पी सकती है ये व्रत मुख्य रूप से पुत्रव्रती महिलाएं करती है वही घर की दीवार पर हर छठ माता का चित्र बनाकर उनका श्रृंगार करना चाहिए माता को छ तरह के दानों और पूड़ी का भोग लगाएं वही मिट्टी के कुल्हड़ या कोसे में सभी दानों को भरा दिया जाता है वही पूजन के बाद हर छठ माता की कथा जरूर पढ़नी चाहिए फिर देवी मां की आरती करें वही व्रत रखने वाली महिलाए पूजन के बाद पारण कर भोजन ग्रहण कर सकती है इस व्रत को करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और पुत्र पर आने वाले संकट भी दूर हो जाते हैं।

व्रत में भूलकर भी ना खाएं ये चीजें—
आपको बता दें कि हलछठ वाले दिन बलराम जी के शस्त्र हल की पूजा आराधना की जाती है इसलिए मान्यता के अनुसार इस दिन हल से जुती हुई चीजें व्रती को नहीं खानी चाहिए इस दिन महिलाएं तालाब में उगे हुए फलों या चावल खाकर व्रत करती है इसके साथ ही हलछठ के दिन व्रत में गाय के दूध या दूध से बनी हुई कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए बल्कि भैंस के दूध से तैयार की गए घी का प्रयोग करना बेहद ही शुभ माना जाता है ऐसा करने से व्रती को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।


