ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत त्योहार को विशेष माना जाता है वही प्राचीन काल से ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों के निवारण के लिए देवी देवताओं की अलग अलग रूप में पूजा का विधान बताया गया हैं यानी देवी देवता हर तरह के कष्टों से सदैव रक्षा करते हैं। ऐसा ही एक रूप है

मां पार्वती स्वरूपा मां शीतला देवी का जिनकी पूजा अनेक संक्रामक रोगों से रोग मुक्त करती है मां शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती हैं इस साल यह पर्व 25 मार्च दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। प्रकृति के अनुसार शरीर निरोगी हो, इसलिए भी शीतला अष्टमी की पूजा व्रत करना चाहिए।

शीतला अष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं अष्टमी के दिन बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में समर्पित किए जाते हैं। शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं अष्टमी के दिन बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में समर्पित किए जाते हैं।भगवती शीतला की पूजा का विधान भी अनोखा होता है

शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं अष्टमी के दिन बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में समर्पित किए जाते हैं। लोकमान्यता के अनुसार आज भी अष्टमी के दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है और सभी भक्त खुशी खुशी प्रसाद के रूप में बासी भोजन का ही आनंद लेते हैं इसके पीछे तर्क यह है कि इस समय से ही बसंत की विदाई होती हैं और ग्रीष्म का आगमन होता है इसलिए अब यहां से आगे हमें बासी भोजन से परहेज करना चाहिए।


