ज्योतिष न्यूज़ डेस्कः हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को बेहद ही खास माना जाता है वही हल षष्ठी का व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है पंचांग के अनुसार यह व्रत भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है हल षष्ठी को हलछठ, ललही छठ के नाम से जाना जाता है यह व्रत संतान की लंबी उम्र और सुख सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था इस दिन महिलाएं बलराम जी की विधि विधान से व्रत पूजन करती है आपको बता दें कि संतान सुखों में वृद्धि और कष्टों को दूर करने वाला हलषष्ठी व्रत कल यानी 17 अगस्त दिन बुधवार को देशभर में मनाया जाएगा। तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा हलषष्ठी व्रत की पूजा विधि और नियम के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

जानिए शुभ मुहूर्त-
आपको बता दें कि पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली षष्ठी तिथि 16 अगस्त को रात्रि 8 बजकर 17 मिनट पर आरंभ होगी वही 17 अगस्त की रात्रि 8 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में ही व्रत त्योहार को मनाएं जाने की परंपरा है इसलिए हलषष्ठी का व्रत 17 अगस्त को रखा जाएगा।

जानिए हलषष्ठी व्रत की पूजन विधि-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हल षष्ठी के दिन महिलाएं सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर व्रत पूजन का संकल्प करें। फिर पवित्र मिटटी की मदद से एक बेदी बनाकर उसमें पलाश, गूलर आदि की टहनियों और कुश को मजबूती से लगा दें। इसके बाद विधिवत पूजा करते हुए बगैर जुते हुए खाद्य पदार्थ को अर्पित करें। इस व्रत में आप महुआ, फसही का चालव और भैंस का दूध और उससे बनी चीजों का का इस्तेमाल कर सकती है और व्रती महिलाएं इन्हीं को खाकर अपने व्रत का पारण भी करती है। इस पवित्र व्रत को करने से संतान को सुख और लंबी आयु प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली परेशानियां भी दूर हो जाती है।


