ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत पूजा को बेहद ही खास माना जाता है वही हर माह की त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है इस दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से शिव की पूजा करने से कृपा प्राप्त होती है वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 मई दिन यानी आज पड़ी है
इस दिन शुक्रवार होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है शुक्र प्रदोष व्रत में शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष काल में की गई पूजा बहुत ही फलदायी साबित होती है इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करने का भी विधान है तो आज हम आपको शिव चालीसा पाठ कैसे करें इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ऐसे करें शिव चालीसा पाठ—
शिव चालीसा का पाठ स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने के बाद ही करें। चालीसा पढ़ने से पहले पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन बिछा लें और बैठ जाएं। पूजा के दौरान धूप, दीपक, सफेद चंदन, माला और सफेद पुष्प रखें साथ में शिव को मिश्री का भोग लगाएं। चालीसा पाठ शुरू करने से पहले शिव जी के आगे गाय के घी का दीपक जलाएं और एक कलश में साु ज भरकर रखें। शिव चालीसा का पाठ तीन बार किया जाता है साथ ही इसे थोड़ा तेज बोलकर पढ़ना चाहिए शिव चालीसा पाठ पूर्ण होने के बाद जल से भरे कलश को घर में छिड़क दें और फिर शिव को मिश्री का भोग लगाएं और इसे बच्चों में भी बांट दें।
शिव चालीसा पाठ—
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
|चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥