क्या अमेरिका के हमलों के बाद ईरान बंद कर देगा होरमुज की खाड़ी? दुनिया की सबसे अहम तेल आपूर्ति मार्ग पर संकट के बादल

ईरान-इज़राइल संघर्ष के बीच अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले के बाद अब होरमुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) पर नया भू-राजनीतिक संकट गहराता दिख रहा है। ईरान के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से यह सीधा संकेत दिया गया है कि यदि अमेरिका और पश्चिमी देशों की आक्रामकता बढ़ी तो ईरान इस बेहद अहम तेल मार्ग को पूरी तरह से बंद कर सकता है।
अमेरिका ने ईरान के तीन मुख्य परमाणु केंद्रों पर हाल ही में हवाई हमले किए हैं। इन हमलों के जवाब में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक करीबी सहयोगी ने कहा है कि अब ईरान के पास प्रतिकार का वक्त है और इसका पहला कदम होरमुज जलडमरूमध्य को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के जहाजों के लिए बंद करना होगा।
क्या है होरमुज जलडमरूमध्य का महत्व?
होरमुज जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे व्यस्त और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों में से एक है। यह मार्ग ओमान और ईरान के बीच स्थित है और इसके ज़रिए हर दिन करीब 1.8 करोड़ बैरल कच्चा तेल दुनिया भर में भेजा जाता है। इस जलडमरूमध्य से दुनिया की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा गुजरता है। सऊदी अरब, इराक, कुवैत, यूएई जैसे खाड़ी देशों के लिए यह उनकी प्रमुख तेल निर्यात की लाइफलाइन है।
अगर यह मार्ग बंद होता है तो इसका सीधा असर वैश्विक तेल आपूर्ति पर पड़ेगा। न केवल तेल के दाम आसमान छू सकते हैं, बल्कि तेल आयात पर निर्भर देशों जैसे भारत, चीन, जापान और यूरोपियन देशों की अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर संकट मंडरा सकता है।
क्या अतीत में कभी होरमुज जलडमरूमध्य बंद हुआ है?
इतिहास बताता है कि ईरान ने अतीत में कई बार इस जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है, लेकिन आज तक यह कभी पूरी तरह से बंद नहीं हुआ।
1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान "टैंकर वॉर" के समय दोनों पक्षों ने तेल टैंकरों पर हमले किए, लेकिन फिर भी जलमार्ग खुला रहा।
2011-12 में यूरोपीय और अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में भी ईरान ने इस रास्ते को बंद करने की चेतावनी दी थी, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के युद्धपोतों की तैनाती के चलते भी इसे बंद नहीं किया गया।
2019 में अमेरिका के परमाणु समझौते से हटने के बाद तनाव चरम पर पहुंचा। उस समय भी ईरान ने ब्रिटिश झंडे वाले टैंकर Stena Impero को जब्त कर लिया था। तब भी दुनिया भर में चिंता की लहर दौड़ी थी, मगर जलमार्ग खुला रहा।
क्या इस बार स्थिति अलग है?
इस बार स्थिति पहले से अलग है क्योंकि:
अमेरिका ने सीधे ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। यह हमला ईरान की संप्रभुता पर सीधा हमला माना जा रहा है।
ईरान के शीर्ष अखबार 'Kayhan' में छपे लेख में अयातुल्ला खामेनेई के प्रतिनिधि ने लिखा है, "अब हमारे पलटवार का समय है। सबसे पहला कदम अमेरिकी बेड़े पर मिसाइल हमला और होरमुज जलडमरूमध्य को पश्चिमी देशों के जहाजों के लिए बंद करना है।"
मध्य पूर्व में पहले से चल रहे इज़राइल-गाज़ा संघर्ष, लेबनान के हालात और सीरिया में मौजूदगी के चलते अमेरिका और उसके सहयोगी पहले ही अलर्ट मोड में हैं। ऐसे में ईरान का यह कदम पूरी दुनिया में आर्थिक अस्थिरता फैला सकता है।
भारत समेत पूरी दुनिया पर असर
यदि होरमुज जलडमरूमध्य बंद होता है तो इसका सबसे बुरा असर भारत जैसे देशों पर पड़ेगा, जो कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से मंगाते हैं। भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का करीब 60 प्रतिशत से अधिक आयात इसी रास्ते से करता है। इसके कारण पेट्रोल, डीजल, गैस की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, यूरोप के कई देश इस मार्ग पर निर्भर हैं। वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर जा सकती हैं।
क्या वाकई ईरान यह कदम उठाएगा?
कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही ईरान ने इस बार कड़ा बयान दिया हो, मगर होरमुज जलडमरूमध्य को पूरी तरह बंद करना उसके लिए भी जोखिम भरा होगा। इसके पीछे कई कारण हैं:
ईरान का अपना तेल निर्यात भी इसी रास्ते से होता है। इस मार्ग को बंद करने का मतलब उसकी खुद की अर्थव्यवस्था पर चोट करना होगा।
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने पहले से अपने नौसैनिक बेड़े तैनात कर रखे हैं। जलडमरूमध्य बंद करने की कोशिश युद्ध जैसी स्थिति को जन्म दे सकती है।
चीन जैसे ईरान के बड़े ग्राहक देश भी इस कदम से नाराज़ हो सकते हैं, जिससे ईरान की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
क्या है अमेरिका का रुख?
अमेरिका ने इस संबंध में कोई सीधी चेतावनी नहीं दी है, लेकिन पेंटागन ने साफ किया है कि वह खाड़ी क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। यदि ईरान ने होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने की कोशिश की तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान भले ही बड़े बयान दे रहा हो, मगर वह सीधे युद्ध के जोखिम से बचना चाहेगा। हालांकि, किसी भी 'गलत आकलन' या 'छोटी झड़प' से बड़ी जंग छिड़ सकती है। ईरान द्वारा होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार हालात पहले से ज्यादा खतरनाक और अनिश्चित नजर आ रहे हैं।
यदि यह धमकी हकीकत में बदलती है तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था, तेल की कीमतों, शेयर बाजारों और भू-राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा। भारत जैसे ऊर्जा आयातक देशों को इस स्थिति के लिए पहले से योजना बनानी होगी। आने वाले कुछ हफ्ते इस मसले पर निर्णायक साबित होंगे। क्या ईरान अपने इस सबसे बड़े रणनीतिक कार्ड का इस्तेमाल करेगा या फिर पिछली बार की तरह केवल धमकी देकर पीछे हट जाएगा—यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।