Remdesivier:रेमडेसिविर ही नहीं इन दवाओं का भी लिया जाता है कोरोना में उपयोग
कोरोना की दूसरी लहर लगातार भीषण होती जा रही है। वायरस को रोकने के लिए कोई निश्चित प्रभावी दवा न होने के चलते डॉक्टर कई तरह की दवाएं और थैरेपी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। हालाँकि इसी वजह से रेमडेसिविर दवा का बहुत ज्यादा इस्तेमाल बढ़ा है, इसी वजह से लोगो को भी लगने लगा है की कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर नहीं मिली तो मौत आणि निश्चित है। लेकिन सच इससे काफी अलग है। ऐसी कई सारी दवाये है जिनका कोरोना में उपयोग किया जा रहा है, और ये इन्फेक्शन को खत्म करने में सक्षम भी है।
सरकार ने भी इस मामले पर कहा है कि रेमडेसिविर कोई जादू नहीं है। सबसे पहले तो हमे ये बात जानने की जरुरत है की रेमडेसिविर। ये केवल एक एंटी-वायरल दवा है। इसका उपयोग आज से चार साल पहले इबोला महामारी के उपचार के लिए भी हुआ था। और अब इसका उपयोग कोरोना में हो रहा है। बीते साल मई माह में अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर US-FDA ने इसे कोरोना के उपचार में इसके आपातकाल इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। तब से ही इसका कोरोना के इलाज में उपयोग हो रहा है।
बीते साल पद्मश्री से सम्मानित हुए डॉ. बेहरा के मुताबिक कि WHO ने इस दवा पर ट्रायल्स किए है, लेकिन इसके उपयोग से किसी तरह के फायदा होने की रिपोर्ट नहीं मिली है। वहीं, डॉ. जरिया का मानना हैं कि रेमडेसिविर वायरस को बढ़ने से रोकती है। लेकिन वो भी केवल शुरूआती लक्षणों के मामलो में। ये भी जरुरी नहीं है की सभी मामलो में ये असर दिखाए। इसके अलावा ये भी यहाँ पर जानना जरुरी है की रेमडेसिविर ये दवा हर किसी के लिए नहीं है। जिनके कोरोना का इलाज घर पर चल रहा है, उन्हें तो इसके इस्तेमाल की अनुमति बिलकुल नहीं है। जो ऑक्सीजन पर है, केवल उन्हें ही ये डॉक्टर द्वारा दी जा रही हैं।
कोरोना मरीज को फिलहाल सबसे अधिक जरुरत जिस चीज़ की है तो वो है ऑक्सीजन। इसके अलावा इन्फेक्शन को रोकने के लिए सहायक दवा के तौर पर टोसीलुजुमाब, प्लाज्मा थैरेपी और स्टेरॉइड का भी उपयोग किया जा रहा हैं। टोसीलुजुमाब का भी कोरोना के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका असर लेकिन तभी होता है जब ये शुरुआत में यानी 48-72 घंटे में दे दिया जाए। बाद में इसे देने का कोई फायदा नहीं है। बावजूद इसके इस बात का कोई प्रमाण नहीं है की इन्फेक्शन को रोक रही है।