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भारत में पहली बार बिना सुई और बिना शीशी के AI आधारित ब्लड टेस्ट लॉन्च, हैदराबाद के नीलोफर अस्पताल में हुई शुरुआत

भारत में पहली बार बिना सुई और बिना शीशी के AI आधारित ब्लड टेस्ट लॉन्च, हैदराबाद के नीलोफर अस्पताल में हुई शुरुआत

हैदराबाद, तेलंगाना — भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। हैदराबाद स्थित नीलोफर अस्पताल ने देश का पहला AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) आधारित नॉन-इनवेसिव ब्लड टेस्ट शुरू किया है, जो बिना किसी सुई, खून या लैब टेस्ट के सिर्फ 60 सेकंड के भीतर स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी जानकारी दे सकता है। यह तकनीक न केवल विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, बल्कि यह देश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को भी पूरी तरह बदल सकती है।

Quick Vitals द्वारा विकसित ‘अमृत स्वस्थ भारत’

यह अभिनव तकनीक हेल्थटेक स्टार्टअप Quick Vitals द्वारा विकसित की गई है और इसका नाम है "अमृत स्वस्थ भारत"। यह एक मोबाइल ऐप है जो चेहरे की स्कैनिंग के माध्यम से ब्लड टेस्ट के परिणाम 20 से 60 सेकंड में दे देता है — वह भी बिना खून के एक बूंद के। फेस स्कैनिंग की तकनीक को Photoplethysmography (PPG) कहा जाता है, जो शरीर की त्वचा में होने वाले प्रकाश अवशोषण के परिवर्तन को रिकॉर्ड करके कई तरह के स्वास्थ्य संकेतों को पहचान सकती है।

क्या-क्या माप सकता है यह सिस्टम?

‘अमृत स्वस्थ भारत’ ऐप के ज़रिए निम्नलिखित स्वास्थ्य संकेतक मापे जा सकते हैं:

  • रक्तचाप (Blood Pressure)

  • ऑक्सीजन सेचुरेशन (SpO2)

  • हृदय गति (Heart Rate)

  • श्वसन दर (Respiration Rate)

  • हृदय गति परिवर्तनशीलता (HRV)

  • हीमोग्लोबिन A1c

  • तनाव स्तर (Stress Levels)

  • पल्स रेस्पिरेटरी कोएफिशिएंट (PRQ)

  • सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम की सक्रियता

“सेल्फी जितना आसान” है यह टेस्ट

Quick Vitals के संस्थापक हरीश बिसाम के अनुसार, “यह तकनीक इतना आसान है कि इसे कोई भी अपने मोबाइल कैमरे से सेल्फी की तरह इस्तेमाल कर सकता है।” उनका मानना है कि यह तकनीक विशेष रूप से कमजोर और ग्रामीण समुदायों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच को बेहतर बनाएगी, जहां अक्सर लैब और परीक्षण सुविधाएं नहीं होतीं।

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नीलोफर अस्पताल में लॉन्च: बच्चों और महिलाओं के लिए वरदान

इस तकनीक की पहली आधिकारिक लॉन्चिंग हैदराबाद के लालडिकापुल स्थित नीलोफर अस्पताल के रेड हिल्स कैंपस में की गई। नीलोफर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रवि कुमार ने कहा, “यह तकनीक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी। यह तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक है – खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए।” राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के सदस्य डॉ. संतोष क्रालेट ने कहा कि इस तकनीक के माध्यम से अब एनीमिया जैसे ‘साइलेंट’ रोगों का शीघ्र निदान संभव होगा जो आमतौर पर महिलाओं और बच्चों में अनदेखा रह जाता है। उनके अनुसार, “इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी व्यक्ति हमारे स्वास्थ्य अभियानों से वंचित न रहे।”

AI हेल्थकेयर का भविष्य: पहनने योग्य उपकरणों से निरंतर निगरानी

यह ऐप न केवल मोबाइल या टैबलेट से स्कैनिंग करता है, बल्कि कॉंटैक्ट-आधारित पहनने योग्य PPG सेंसर के ज़रिए मरीजों की निरंतर निगरानी भी कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अब मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा सकती है, वह भी बिना बार-बार टेस्ट करवाए।

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को दी गई प्राथमिकता

Quick Vitals का दावा है कि इस ऐप को पूरी तरह भारतीय चिकित्सा डेटा संरक्षण नियमों के अनुरूप तैयार किया गया है।

  • हर मरीज का डेटा केवल अधिकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ ही साझा किया जाएगा।

  • एक ही डिवाइस पर कई उपयोगकर्ताओं को रजिस्टर किया जा सकता है।

  • डेटा पूरी तरह एन्क्रिप्टेड होता है, जिससे गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

महाराष्ट्र में होगा अगला विस्तार

नीलोफर अस्पताल में लॉन्चिंग के दौरान, Quick Vitals के संस्थापक हरीश बिसाम ने घोषणा की कि अब यह तकनीक महाराष्ट्र राज्य में भी जल्द शुरू की जाएगी। इसका उद्देश्य है पूरे भारत में AI आधारित डायग्नोस्टिक सिस्टम को विस्तार देना, ताकि कम समय में अधिक लोगों का स्वास्थ्य मूल्यांकन संभव हो सके।

स्वास्थ्य क्षेत्र में क्यों है यह क्रांति जैसी खोज?

भारत जैसे देश में, जहां सरकारी अस्पतालों में लंबी कतारें, लैब की कमी, और स्वास्थ्य सुविधाओं की असमानता आम बात है, वहां यह तकनीक एक बड़ी राहत बनकर उभरी है।

  • गांवों और कस्बों में, जहां लैब तक पहुंच नहीं है, वहां यह ऐप मात्र एक मोबाइल फोन के जरिए ब्लड टेस्ट की तरह का मूल्यांकन कर सकता है।

  • समय और संसाधनों की बचत होती है – ना सुई लगानी है, ना शीशी भरनी है, और ना ही रिपोर्ट आने में दिन लगते हैं।

  • महिलाओं और बच्चों में बार-बार खून निकालने की जरूरत खत्म हो जाती है।

सरकारी योजनाओं से जुड़ने की तैयारी

स्वास्थ्य मंत्रालय के कई अधिकारी इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, POSHAN अभियान, और स्कूल हेल्थ प्रोग्राम्स जैसे सरकारी अभियानों से जोड़ने की बात कर रहे हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह ऐप हर स्कूल, पंचायत भवन या आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर सस्ती, सुरक्षित और तेज़ जांच की सुविधा देगा।

भविष्य की स्वास्थ्य सेवा

‘अमृत स्वस्थ भारत’ न केवल तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह भारत के स्वास्थ्य तंत्र को अधिक समावेशी, प्रभावी और तेज़ बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। अब एक साधारण स्मार्टफोन से, महंगे और समय लेने वाले ब्लड टेस्ट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। देश की सबसे कमजोर और दूर-दराज की आबादी को इसका सबसे बड़ा लाभ मिलेगा। आने वाले वर्षों में, जब यह तकनीक देश भर में फैल जाएगी, तब भारत का हेल्थकेयर सिस्टम न केवल तेज़ और कुशल होगा, बल्कि जन-जन तक सुलभ भी हो जाएगा।

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