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‘सांप्रदायिक हिंसा’ पर बोले विवेक रंजन- जब अंधकार का सामना करते हैं, तभी उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं

मुंबई, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले से देश सदमे में है। इस बीच फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ‘सांप्रदायिक हिंसा’ पर अपने विचार रखे। उनके अनुसार ये घाव गहरा है जो कभी भर नहीं सकता।
‘सांप्रदायिक हिंसा’ पर बोले विवेक रंजन- जब अंधकार का सामना करते हैं, तभी उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं

मुंबई, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले से देश सदमे में है। इस बीच फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ‘सांप्रदायिक हिंसा’ पर अपने विचार रखे। उनके अनुसार ये घाव गहरा है जो कभी भर नहीं सकता।

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इंस्टाग्राम के स्टोरीज सेक्शन पर पोस्ट शेयर कर बताया कि ‘सांप्रदायिक हिंसा’ से मिला दर्द केवल शारीरिक नहीं होता है, बल्कि यह मन और भावनाओं पर भी अपनी गहरी छाप छोड़ जाता है और जब हम अंधकार का सामना करते हैं, तभी उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। शेयर किए गए पोस्ट में विवेक रंजन अग्निहोत्री ने लिखा, “सांप्रदायिक हिंसा लाशों के साथ एक खालीपन छोड़ जाती है। घर राख में बदल जाते हैं, जिंदगियां बिखर जाती हैं, परिवार कभी भी एक नहीं रह पाते। दर्द सिर्फ शारीरिक नहीं होता, यह एक धीमा दर्द है।“

उन्होंने बताया कि कट्टरवाद की वजह से आस्था एक हथियार बन जाती है। उन्होंने लिखा, “एक मां अपने बेटे की तलाश कर रही है। एक आदमी जिसके हाथ कभी प्रार्थना करते थे, अब क्रोध से कांप रहे हैं। यह धार्मिक कट्टरवाद की मानवीय कीमत है- जहां आस्था एक हथियार बन जाती है और मतभेद मौत की सजा बन जाते हैं। कट्टरपंथ का इलाज चुप्पी या इनकार नहीं है। यह जागरूकता है। मैं अपनी कला के माध्यम से जागरूकता लाने के लिए प्रयास करता हूं। ऐसी कला जो सत्य से विचलित नहीं होती।“

अग्निहोत्री ने आगे कहा, “मेरी फिल्में सिर्फ कहानियां नहीं हैं, वे ऐसी जगहें हैं, जहां दया, तर्क और सरल मानवता की अनुपस्थिति है और अनुपस्थिति उपस्थिति से ज्यादा जोर से बोलती है। मैं उस अनुपस्थिति से रचना करता हूं। दर्शकों को चौंकाने के लिए नहीं, बल्कि याद दिलाने और हमने जो खोया है, उसे आईना दिखाने के लिए।“

उन्होंने बताया, “मेरी फिल्में कंफर्टेबल नहीं होती हैं। ये ऐसे सवाल उठाती हैं जिनसे हम बचना चाहते हैं, हम क्या बन रहे हैं? इस पैटर्न को देखने से पहले हमें और कितने जीवन जीने होंगे? मेरा सिनेमा विरोध, शोक और स्मृति है। क्योंकि जब हम अंधकार का सामना करते हैं, तभी हम उसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। केवल तभी जब हम बता सकते हैं कि क्या कमी है।“

गंभीर मुद्दों पर फिल्म बनाने के लिए मशहूर विवेक रंजन 'द कश्मीर फाइल्स', 'वैक्सीन वॉर' जैसी फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। उनकी अपकमिंग फिल्म पर नजर डालें तो बंगाल त्रासदी पर बनी ‘द दिल्ली फाइल्स: बंगाल चैप्टर’ है।

बंगाल की त्रासदी और हिंदू नरसंहार पर बनी फिल्म ‘द दिल्ली फाइल्स’ में अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के साथ अनुपम खेर, गोविंद नामदेव, पुनीत इस्सर, बब्बू मान और पालोमी घोष भी अहम भूमिकाओं में हैं।

‘द दिल्ली फाइल्स’ 15 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

--आईएएनएस

एमटी/केआर

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