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कौन निभा सकता है भगवान राम का रोल? 'रामायण' फेम अरुण गोविल का सीधा जवाब- 'हमारे जीते-जी किसी को...'

रामानंद सागर की ‘रामायण’ में भगवान श्रीराम की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल आज भी देशभर में एक आस्था का प्रतीक माने जाते हैं। उनकी आवाज़, उनका चेहरा और उनका भाव – सब कुछ भारतीय जनमानस में राम के रूप में रच-बस गया है...
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रामानंद सागर की ‘रामायण’ में भगवान श्रीराम की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल आज भी देशभर में एक आस्था का प्रतीक माने जाते हैं। उनकी आवाज़, उनका चेहरा और उनका भाव – सब कुछ भारतीय जनमानस में राम के रूप में रच-बस गया है। लेकिन अब, जब बॉलीवुड एक बार फिर रामायण को पर्दे पर उतारने की तैयारी कर रहा है, तो अरुण गोविल ने इस पर गंभीर चिंता और निराशा जताई है।

आदिपुरुष के बाद अरुण गोविल का रिएक्शन

अरुण गोविल का यह बयान ‘आदिपुरुष’ की असफलता और विवादों के बाद आया है, जिसमें प्रभास ने राम और कृति सेनन ने सीता की भूमिका निभाई थी। फिल्म को जहां बॉक्स ऑफिस पर करारा झटका लगा, वहीं डायलॉग, वीएफएक्स और धार्मिक चरित्रों की प्रस्तुति को लेकर व्यापक आलोचना झेलनी पड़ी। इसी संदर्भ में, एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में अरुण गोविल ने कहा: "तीन-चार लोगों ने रामायण को फिर से बनाने की कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हुआ। मुझे नहीं लगता कि हमारे जीवनकाल में किसी को रामायण को फिर से बनाने की कोशिश करनी चाहिए।" उनके अनुसार, यह एक धार्मिक ग्रंथ और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे केवल मनोरंजन या तकनीक के लिहाज से नहीं देखा जा सकता।

"कोई एक्टर राम की गरिमा को नहीं निभा सकता"

अरुण गोविल ने बॉलीवुड एक्टर्स की राम की भूमिका निभाने की क्षमता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा: "जहां तक राम का किरदार निभाने की बात है, मुझे नहीं लगता कि इस समय इंडस्ट्री में कोई भी एक्टर इसके लायक है। हो सकता है आपको इंडस्ट्री से बाहर किसी को ढूंढना पड़े।" यह बयान रणबीर कपूर के आगामी रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने की पुष्टि के बाद आया है, जिसे नीतेश तिवारी डायरेक्ट कर रहे हैं।

नीतेश तिवारी की रामायण – दो पार्ट में होगी रिलीज़

नीतेश तिवारी की रामायण दो भागों में बनाई जा रही है, जिनमें से पहला भाग दिवाली 2026 और दूसरा दिवाली 2027 में रिलीज़ हो सकता है। फिल्म में रणबीर कपूर के साथ साई पल्लवी सीता और यश रावण की भूमिका में नजर आ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अरुण गोविल खुद भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

क्यों इतनी खास है अरुण गोविल की ‘रामायण’

1987 में शुरू हुई रामानंद सागर की रामायण आज भी भारतीय टेलीविजन इतिहास की सबसे प्रभावशाली और लोकप्रिय धार्मिक श्रृंखला मानी जाती है। रविवार सुबह 9:30 बजे प्रसारित होने वाला यह शो उस दौर में घर-घर में पूजा की तरह देखा जाता था। 78 एपिसोड की यह सीरीज़ भारतीय परिवारों के लिए सिर्फ एक शो नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव बन गई थी।

आदिपुरुष की असफलता से सबक?

2023 में रिलीज़ हुई आदिपुरुष ने जिस तरह से पौराणिक पात्रों को मॉडर्न ट्विस्ट और कैजुअल डायलॉग्स में प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया। “बजंरंग बली तेरे बाप की सेना है क्या?” जैसे संवादों ने फिल्म को जबरदस्त बैकलैश का सामना कराया। कई जगहों पर प्रदर्शन हुए, केस दर्ज हुए और आखिरकार मेकर्स को डायलॉग्स में बदलाव करने पड़े।

अरुण गोविल का संदेश – “रामायण मनोरंजन नहीं, संस्कार है”

अरुण गोविल की बातों में एक गहरा संदेश है। वे बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि रामायण कोई आम कहानी नहीं, बल्कि संस्कृति, मर्यादा और धर्म का प्रतीक है। इसका निर्माण सिर्फ तकनीक या बड़ी स्टारकास्ट के सहारे नहीं किया जा सकता। “राम बनना सिर्फ स्क्रिप्ट याद करने से नहीं होता, उसके लिए आत्मा से राम को जीना पड़ता है,” – अरुण गोविल

निष्कर्ष:

रणबीर कपूर और नीतेश तिवारी की रामायण से दर्शकों को काफी उम्मीदें हैं, लेकिन अरुण गोविल जैसे कलाकार के शब्द एक चेतावनी की तरह सामने आए हैं – कि पौराणिक किरदारों को निभाना सिर्फ अभिनय नहीं, बल्कि आस्था, गरिमा और संस्कृति की जिम्मेदारी है। अब देखना यह है कि नीतेश तिवारी की रामायण इस कसौटी पर कितना खरा उतरती है। क्या रणबीर कपूर भगवान राम की गरिमा को न्याय दे पाएंगे या फिर यह प्रयोग भी आदिपुरुष की तरह विवादों में उलझ जाएगा?

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