अमिताभ बच्चन के साथ एक शाम बिताने के लिए रेखा ने छोड़ दी थी इस बड़े एक्टर की फिल्म, साइनिंग अमाउंट पड़ा लौटाना

बॉलीवुड की दो दिग्गज हस्तियों अमिताभ बच्चन और रेखा की जोड़ी ने सिने प्रेमियों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। पर्दे पर उनकी केमिस्ट्री का जादू आज भी फैंस के बीच चर्चा का विषय है। खासकर उनकी फिल्म ‘सिलसिला’ (1981) को आज भी बॉलीवुड की सबसे यादगार फिल्मों में गिना जाता है। लेकिन पर्दे के पीछे उनकी दोस्ती और रिश्तों से जुड़ी कई कहानियां भी ऐसी हैं, जो कम लोगों को ही पता हैं। इनमें से एक खास किस्सा रणजीत नाम के फिल्मकार ने साझा किया है, जिसने रेखा की एक निजी इच्छा के कारण उनकी डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म की कास्टिंग में बड़ा बदलाव आ गया।
रणजीत का सपना और फिल्म ‘कारनामा’
2015 में एक बातचीत के दौरान रणजीत ने बताया कि एक्टिंग छोड़ने के बाद उन्होंने एक स्क्रिप्ट लिखी और सोचा कि अब वह डायरेक्टर बनेंगे। उनकी पहली फिल्म ‘कारनामा’ में धर्मेंद्र, रेखा और जया प्रदा को लेकर एक बेहतरीन प्रोजेक्ट बनने वाला था। रणजीत ने कहा, "रेखा मेरी पुरानी दोस्त हैं और मेरी पहली फिल्म ‘सावन भादों’ की को-स्टार भी थीं। हमने हमेशा साथ अच्छा वक्त बिताया है।" इस बात से साफ था कि रणजीत ने अपनी पहली फिल्म में खास अंदाज और पहचान लाने के लिए रेखा को खास अहमियत दी थी। लेकिन इस फिल्म के साथ ऐसा मोड़ आया, जिसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की थी।
रेखा की निजी रिक्वेस्ट और फिल्म छोड़ने का फैसला
रणजीत ने बताया कि फिल्म ‘कारनामा’ का पहला पूरा शेड्यूल शाम की शिफ्ट में था। एक दिन रेखा ने उनसे फोन पर खास रिक्वेस्ट की कि क्या शूटिंग सुबह की जा सकती है क्योंकि वह शाम का समय अमिताभ बच्चन के साथ बिताना चाहती थीं। यह एक निजी मांग थी, लेकिन उस समय इसे पूरा करना संभव नहीं था। रणजीत ने विनम्रता से मना कर दिया। इसके बाद रेखा ने फिल्म छोड़ने और साइनिंग अमाउंट वापस करने का फैसला किया। यह फैसला उस समय रणजीत के लिए बड़ा झटका था क्योंकि फिल्म की योजना के हिसाब से रेखा का होना जरूरी था। लेकिन इस घटना ने फिल्म की दिशा ही बदल दी।
फिल्म पर प्रभाव और बदलाव
रेखाएक के फिल्म छोड़ने के बाद ‘कारनामा’ की शूटिंग में देरी हुई। धर्मेंद्र ने अपने अन्य प्रोजेक्ट्स शुरू कर दिए। रणजीत को मजबूरन रेखा की जगह अनीता राज को लेने का सुझाव मिला। अंततः फिल्म ‘कारनामा’ फरहा, किमी काटकर और विनोद खन्ना के साथ पूरी हुई। जब यह फिल्म 1990 में रिलीज़ हुई, तो इसका बिजनेस औसत रहा। रणजीत ने इसके बाद 1992 में ‘गजब तमाशा’ नाम से एक और फिल्म बनाई, जिसमें अनु अग्रवाल और राहुल रॉय थे, लेकिन वह फिल्म भी सफल नहीं हो पाई।
अमिताभ बच्चन और रेखा की फिल्मों की यादगार केमिस्ट्री
अमिताभ और रेखा की ऑनस्क्रीन जोड़ी बॉलीवुड के इतिहास की सबसे चर्चित जोड़ी है। ‘सिलसिला’ भले ही उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म हो, लेकिन दोनों ने कई और फिल्मों में साथ काम किया, जिनमें उनकी केमिस्ट्री की खूब तारीफ हुई।
उनकी कुछ यादगार फिल्मों में शामिल हैं:
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मुकद्दर का सिकंदर (1978)
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मिस्टर नटवरलाल (1979)
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सुहाग (1979)
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दो अंजाने (1976)
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राम बलराम (1980)
इन फिल्मों में अमिताभ और रेखा ने अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई।
पर्दे के पीछे की दोस्ती और जज्बात
अमिताभ और रेखा की दोस्ती और उनके रिश्तों को लेकर वर्षों से अफवाहें और चर्चा होती रही हैं। फिल्मी पर्दे पर उनके बीच के जज्बातों ने उन्हें एक लोकप्रिय जोड़ी बना दिया, लेकिन पर्दे के पीछे उनकी दोस्ती में भी कई रंग-बिरंगे किस्से छिपे हैं। रणजीत की यह कहानी उन कम जानी-पहचानी कहानियों में से एक है, जो इस जोड़ी की जिंदगी की एक झलक दिखाती है।
निष्कर्ष
अमिताभ बच्चन और रेखा की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा में एक मिसाल कायम की है। उनकी फिल्मों ने कई पीढ़ियों को मनोरंजन और भावनाओं से भरपूर अनुभव दिया है। पर्दे के पीछे की यह छोटी सी घटना भी दिखाती है कि फिल्मी दुनिया में व्यक्तिगत रिश्ते, फैसले और प्राथमिकताएं किस तरह फिल्मों के नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। यह कहानी न केवल बॉलीवुड के फैंस के लिए रोचक है, बल्कि यह बताती है कि कलाकारों के निजी जीवन और उनकी पसंद-नापसंद का फिल्म निर्माण प्रक्रिया पर भी गहरा असर पड़ता है। अमिताभ बच्चन और रेखा की दोस्ती आज भी बॉलीवुड की सबसे खास और यादगार कहानियों में गिनी जाती है।