Samachar Nama
×

खेमचंद प्रकाश: लता मंगेशकर-किशोर कुमार जैसी हस्तियों को बनाया सुपरस्टार, लेकिन खुद नहीं देख पाए उनकी सफलता

मुंबई, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी फिल्म संगीत की दुनिया में खेमचंद प्रकाश अपने समय के मशहूर गीतों के रचयिता थे। उन्होंने कई ऐसे कलाकारों को इंडस्ट्री में पहला मौका दिया, जो बाद में सुपरस्टार बने। लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मन्ना डे, नौशाद और मुकेश जैसी महान हस्तियों के करियर की शुरुआत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
खेमचंद प्रकाश: लता मंगेशकर-किशोर कुमार जैसी हस्तियों को बनाया सुपरस्टार, लेकिन खुद नहीं देख पाए उनकी सफलता

मुंबई, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी फिल्म संगीत की दुनिया में खेमचंद प्रकाश अपने समय के मशहूर गीतों के रचयिता थे। उन्होंने कई ऐसे कलाकारों को इंडस्ट्री में पहला मौका दिया, जो बाद में सुपरस्टार बने। लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मन्ना डे, नौशाद और मुकेश जैसी महान हस्तियों के करियर की शुरुआत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।

उन्हें न सिर्फ संगीतकार के तौर पर, बल्कि एक प्रतिभाशाली मार्गदर्शक के रूप में भी याद किया जाता है।

खेमचंद प्रकाश का जन्म 12 दिसंबर 1907 को जयपुर में हुआ था। उनके पिता, गोवर्धन दास, एक प्रतिष्ठित ध्रुपद गायक और कथक नर्तक थे। छोटी सी उम्र में ही खेमचंद को संगीत में गहरी रुचि थी और उन्होंने अपने पिता से संगीत की बारीकियां सीखीं। उनकी प्रतिभा ने सभी का ध्यान खींचा और 19 साल की उम्र में वे जयपुर दरबार में गायक बन गए। बाद में उन्होंने बीकानेर और नेपाल के राजदरबार में गायक के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने शाही संगीत और धुनों की बारीकी को और समझा।

इसके बाद खेमचंद प्रकाश कोलकाता चले गए। यहां उन्होंने प्रसिद्ध न्यू थिएटर्स से जुड़कर संगीतकार तिमिर बरन के सहायक के रूप में 'देवदास' (1935) जैसी फिल्मों में काम किया। उन्होंने फिल्म 'स्ट्रीट सिंगर' (1938) में हास्य गीत गाया, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। कोलकाता में बिताए इन वर्षों ने उन्हें फिल्म संगीत की दुनिया के लिए तैयार किया।

1939 में मुंबई का रुख करते हुए खेमचंद ने सुप्रीम पिक्चर्स की फिल्मों 'मेरी आंखें' और 'गाजी सलाउद्दीन' में संगीत निर्देशक के रूप में काम किया। इनके बाद वे रणजीत मूवीटोन से जुड़े और 'दिवाली', 'होली', 'फरियाद', 'तानसेन' जैसी फिल्मों में शानदार संगीत दिया। इस दौरान खेमचंद ने कई कलाकारों को मौके दिए। उनके मार्गदर्शन में लता मंगेशकर ने पहचान बनाई और किशोर कुमार ने अपना पहला गाना गाया। नौशाद और मन्ना डे जैसे दिग्गज कलाकार भी खेमचंद के निर्देशन में इंडस्ट्री में आए।

खेमचंद प्रकाश की सबसे यादगार फिल्म 'महल' (1949) रही। इस फिल्म का गीत 'आएगा आने वाला,' लता मंगेशकर की आवाज में, काफी मशहूर हुआ। इस गाने की सफलता ने लता को सुपरस्टार बना दिया।

मन्ना डे, मुकेश, किशोर कुमार और नौशाद जैसे संगीतकारों की सफलताओं के पीछे खेमचंद प्रकाश का मार्गदर्शन और प्रोत्साहन है। उनका संगीत केवल गीतों तक सीमित नहीं था। उन्होंने अपने समय के गायकों और संगीतकारों को संगीत की गहराई सिखाई और उन्हें इंडस्ट्री में अपना नाम बनाने का अवसर दिया, लेकिन वह इन सभी की सफलता को देख नहीं पाए।

10 अगस्त 1950 को 42 वर्ष की उम्र में खेमचंद प्रकाश का निधन हो गया। उनकी मौत लिवर सिरोसिस के कारण हुई।

वर्तमान समय में खेमचंद प्रकाश का नाम भले ही आम लोगों की जुबान पर कम सुनाई दे, लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए उनकी धुनें और उनके द्वारा लॉन्च किए गए सितारे हमेशा दिल के करीब हैं।

--आईएएनएस

पीके/डीकेपी

Share this story

Tags