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'कई लोग मुझे सलाह देते हैं...', मराठी फिल्मों में काम करने को लेकर मनोज बाजपेयी ने रखी अपनी राय

मुंबई, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित अभिनेता मनोज बाजपेयी अपने दमदार किरदारों के लिए जाने जाते हैं। हिंदी सिनेमा में उन्होंने जितनी भूमिकाएं निभाई हैं, उतनी ही गहराई से उन्होंने उन किरदारों की भाषा, बोली और पृष्ठभूमि को भी समझा है। ऐसे में जब बात आती है उनके मराठी फिल्मों में काम करने की तो इस पर मनोज बाजपेयी ने सीधा जवाब दिया।
'कई लोग मुझे सलाह देते हैं...', मराठी फिल्मों में काम करने को लेकर मनोज बाजपेयी ने रखी अपनी राय

मुंबई, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित अभिनेता मनोज बाजपेयी अपने दमदार किरदारों के लिए जाने जाते हैं। हिंदी सिनेमा में उन्होंने जितनी भूमिकाएं निभाई हैं, उतनी ही गहराई से उन्होंने उन किरदारों की भाषा, बोली और पृष्ठभूमि को भी समझा है। ऐसे में जब बात आती है उनके मराठी फिल्मों में काम करने की तो इस पर मनोज बाजपेयी ने सीधा जवाब दिया।

एक इवेंट के दौरान मीडिया से बातचीत में मनोज बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने कई मराठी किरदार निभाए हैं, लेकिन अभी भी वह खुद को मराठी फिल्मों में काम करने के लिए पूरी तरह तैयार महसूस नहीं करते।

मनोज बाजपेयी ने कहा, ''लोगों की अक्सर सलाह होती है कि तुमने इतनी बार मराठी किरदार निभाए हैं और मराठी भाषा पर भी पकड़ अच्छी होगी, तो तुम मराठी फिल्में करो, पर मेरा कहना है कि किरदार की जरूरत के मुताबिक कुछ डायलॉग्स याद करना और किसी भाषा में पूरी फिल्म करना, दोनों बिल्कुल अलग बात हैं।

उन्होंने कहा, ''मैंने 'सत्या' फिल्म में भीकू म्हात्रे का मराठी किरदार निभाया था, 'अलीगढ़' में रामचंद्र सिरास को पूरी संवेदनशीलता के साथ पेश किया था, 'भोंसले' में एक प्रभावशाली मराठी व्यक्ति बना था और हाल ही में 'इंस्पेक्टर झेंडे' फिल्म में भी भूमिका निभाई। इन सबके बावजूद मेरा मानना है कि मराठी सिनेमा में काम करने से पहले जिस स्तर की भाषा-समझ और सहजता चाहिए, वह अभी मेरे पास पूरी तरह नहीं है।''

मनोज बाजपेयी ने कहा, ''मराठी किरदार निभाते हुए कई बार मुझे कुछ डायलॉग मराठी में बोलने पड़ते हैं, लेकिन यह काम आसान है क्योंकि उन डायलॉग्स को याद करके सही अंदाज में बोला जा सकता है, लेकिन एक मराठी फिल्म में अभिनय करने के लिए भाषा की गहरी समझ चाहिए। फिल्म का हर सीन, हर भाव और हर बातचीत भाषा पर निर्भर करती है। अगर कलाकार भाषा को पूरी तरह नहीं समझता तो उसकी कमी दर्शकों को तुरंत महसूस हो जाती है, खासकर जब फिल्म की भाषा ही उसकी पहचान हो।''

उन्होंने कहा, ''अगर मैं भाषा को पूरी तरह न समझूंगा और फिल्म में कहीं न कहीं गलती कर दूंगा, ऐसे में या तो डबिंग करनी पड़ेगी या दर्शक इसे स्वीकार नहीं करेंगे, इसलिए मैं मराठी फिल्म करने में हिचकता हूं।''

उन्होंने बताया कि उनकी मातृभाषा भोजपुरी है, जिसे वे बचपन से अपने परिवार और दोस्तों के साथ बोलते आए हैं। इसके मुकाबले हिंदी और अंग्रेजी वे बड़ी उम्र में सीख पाए, और आज भी उनमें सुधार की कोशिश जारी रहती है। इसी तरह मराठी भी उन्होंने फिल्मों के दौरान सीखी है, लेकिन जितनी सीखने की जरूरत मराठी सिनेमा के लिए होती है, वह अभी बाकी है।

--आईएएनएस

पीके/डीकेपी

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