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IC 814: The Kandahar Hijack के असली पायलट Devi Sharan ने बताई वेबसीरीज की खामियां, गिनाए कौन से सीन है नकली 

IC 814: The Kandahar Hijack के असली पायलट Devi Sharan ने बताई वेबसीरीज की खामियां, गिनाए कौन से सीन है नकली 

मनोरंजन न्यूज़ डेस्क - नेटफ्लिक्स पर वेबसीरीज 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' को लेकर चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है। सीरीज पर हर दिन कुछ नया सामने आ रहा है। सीरीज में दिखाई गई 'कंधार हाईजैक' की कहानी पर भी बवाल मचा हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि सीरीज में जो दिखाया गया है, वह हकीकत में नहीं हुआ था। उस वक्त विमान के कैप्टन 'देवी शरण' थे। वहीं, अब खुद देवी शरण ने सीरीज के बारे में बात की है और खुलासा किया है कि सीरीज में जो रोल दिखाया गया है, वह हकीकत में नहीं हुआ था।

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क्या कहा कैप्टन ने?
दरअसल, कैप्टन देवी शरण ने हाल ही में रिलीज हुई 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' के बारे में बात की। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सीरीज में कई गलतियां हैं और इसमें जो दिखाया गया है, वह असल में नहीं हुआ है। असली कैप्टन ने कहा कि सीरीज में जिस तरह से मेरा रोल दिखाया गया है, वह वैसा नहीं था। उन्होंने कहा कि जब विमान के टॉयलेट बुरी तरह से ब्लॉक हो गए थे, तो प्लंबिंग लाइन को मैंने नहीं बल्कि तालिबान अथॉरिटी के एक वर्कर ने साफ किया था। कैप्टन ने बताया कि उस समय सभी परेशान थे और जब कोई रास्ता नहीं मिला तो तालिबान अथॉरिटी ने अपने एक वर्कर को भेजा, जिसे मैंने खुद विमान के होल्ड में उतार लिया, क्योंकि उसे वहां का रास्ता नहीं पता था।

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असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ
कैप्टन ने यह भी खुलासा किया है कि जब सभी को रिहा कर दिया गया और अपहरण की घटना खत्म हो गई। इसके बाद जब मैं विमान से बाहर आया तो विदेश मंत्री ने उन्हें सैल्यूट नहीं किया, बल्कि सीरीज में विदेश मंत्री का किरदार निभाने वाले सीनियर एक्टर पंकज कपूर पायलट को सैल्यूट करते नजर आए, जो सच नहीं है। हां, यह जरूर हुआ कि उस समय विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने उन्हें इशारा किया, जो हमारे काम की सराहना थी, लेकिन यह असली सैल्यूट नहीं था।

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IC 814 के अपहरण की कहानी
गौरतलब है कि IC 814: द कंधार हाईजैक 25 साल पहले हुए भारतीय विमान IC 814 के अपहरण की कहानी पर आधारित है। यह घटना ऐसी थी कि भारत को झुकना पड़ा था। अपने निर्दोष लोगों की खातिर भारत ने उन तीन खतरनाक आतंकवादियों को रिहा कर दिया, जिन्हें हमारे सैनिकों ने बड़ी मुश्किल से पकड़ा था, जिसके लिए तत्कालीन सरकार की काफी आलोचना हुई थी।

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