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बाबिल खान ने बताया, 'लॉगआउट' के किस सीन ने उन्हें झकझोर दिया

मुंबई, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। बाबिल खान की अपकमिंग फिल्म 'लॉगआउट' 18 अप्रैल को जी5 पर रिलीज के लिए तैयार है। इस बीच समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ बातचीत के दौरान अभिनेता ने फिल्म से जुड़ा मजेदार किस्सा साझा किया। बाबिल ने उस सीन के बारे में बताया जिसके लिए 20 टेक लेने पड़े थे।

मुंबई, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। बाबिल खान की अपकमिंग फिल्म 'लॉगआउट' 18 अप्रैल को जी5 पर रिलीज के लिए तैयार है। इस बीच समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ बातचीत के दौरान अभिनेता ने फिल्म से जुड़ा मजेदार किस्सा साझा किया। बाबिल ने उस सीन के बारे में बताया जिसके लिए 20 टेक लेने पड़े थे।

बाबिल ने बताया कि फिल्म से जुड़ा एक सीन है, जिसने अभिनेता के तौर पर उन पर गहरी छाप छोड़ी। अभिनेता ने बताया, "फिल्म के अंत में एक सीन है, मैं बहुत ज्यादा नहीं बताना चाहता, लेकिन एक संवाद है, जिसमें मैं अपने पिता को थप्पड़ मारता हूं। हमने उस सीन के 20 टेक लिए, क्योंकि इसे अलग-अलग एंगल से शूट करना था और हर बार उस पल को फिर से जीना बहुत मुश्किल था। हां वह एक ऐसा सीन था, जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया था।"

बाबिल से आगे पूछा गया कि 'लॉगआउट' में निर्देशक अमित गोलानी और लेखक बिस्वपति सरकार के साथ काम करना कैसा रहा।

इस पर उन्होंने बताया, "बिस्वपति सर, अमित सर और समीर सर के लिए मेरे मन में जो प्यार है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। जब मैं ऑडिशन दे रहा था, तो मुझे पता भी नहीं था कि मैं उनके साथ काम करने वाला हूं। समीर सर ने मेरे पिता के साथ 'कारवां' में काम किया था और मैं बहुत लंबे समय से बिस्वा सर की लेखनी का प्रशंसक रहा हूं।

अमित सर ने हाल ही में 'काला पानी' की थी। मुझे लगा कि मैं उनके रहने से भावुक या रोने वाले दृश्य को भी कर सकता हूं और फिर उससे बाहर भी आ सकता हूं, क्योंकि वे मुझे हंसाएंगे। मैं उन्हें बहुत मिस कर रहा था। मुझे याद है कि मैं बहुत लंबे समय के बाद जोर से हंसा था। उन्होंने हमेशा माहौल को हल्का रखा। उन्होंने फिल्म निर्माण को मजेदार बना दिया।"

अभिनेता ने आगे बताया, "चाहे विषय कितना भी भारी क्यों न हो, उनकी प्रक्रिया ने किसी तरह इसे हल्का महसूस कराया।"

प्रशंसकों के ध्यान से निपटने के तरीके के बारे में बात करते हुए, बाबिल ने साझा किया, "मुझे ध्यान पसंद है, नकारात्मक, सकारात्मक- मुझे वास्तव में यह पसंद है। कभी-कभी यह दर्द देता है, कभी यह भारी हो जाता है और कभी यह मुझे चिंतित महसूस कराता है, लेकिन फिर भी मुझे यह पसंद है।"

--आईएएनएस

एमटी/सीबीटी

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