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'हिंदी हमारी कमजोरी नहीं, ताकत है', पीएम मोदी को ट्रोल करने वालों को अमीश त्रिपाठी का जवाब

मुंबई, 7 जुलाई (आईएएनएस)। लेखक अमीश त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हुए कहा है कि उनकी हिंदी बोलने की क्षमता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है।
'हिंदी हमारी कमजोरी नहीं, ताकत है', पीएम मोदी को ट्रोल करने वालों को अमीश त्रिपाठी का जवाब

मुंबई, 7 जुलाई (आईएएनएस)। लेखक अमीश त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हुए कहा है कि उनकी हिंदी बोलने की क्षमता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है।

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की अंग्रेजी बोलने को लेकर हुई ट्रोलिंग पर अमीश त्रिपाठी ने प्रतिक्रिया दी और इसकी आलोचना की। उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा कि आज इंग्लिश जरूरी हो गई है, खासकर नौकरी और समाज में आगे बढ़ने के लिए। लेकिन इंग्लिश जरूरी होने का मतलब यह नहीं कि हम अपनी मातृभाषा को छोटा समझें। आज बहुत से लोग दबाव में इंग्लिश बोलते हैं, और जो लोग हिंदी बोलते हैं, उन्हें कमतर समझा जाता है, जो गलत सोच है। हमें भारतीय भाषाओं पर गर्व करना चाहिए, न कि शर्म महसूस करनी चाहिए।

अमीश त्रिपाठी ने कहा, "मैं अंग्रेजी बोलने के खिलाफ नहीं हूं। आज के समय में इंग्लिश सीखना जरूरी हो गया है। अगर आपको अच्छी नौकरी चाहिए तो आपको इंग्लिश बोलनी सीखनी होगी। हमारे परिवार में हम पहली पीढ़ी हैं जो इंग्लिश मीडियम स्कूल में गए। मेरे माता-पिता ने हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ाई की थी। इसलिए, मैं फिर से दोहराता हूं कि मैं इंग्लिश बोलने के खिलाफ नहीं हूं और न ही इसके प्रभाव के खिलाफ हूं।"

अमीश त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि लोग फ्लूएंट इंग्लिश न बोलने पर मोदी जी का मजाक उड़ाते हैं। यह गलत है। मोदी जी ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई नहीं की, फिर भी वह हिंदी में बिना किसी कागज या नोट्स के बहुत अच्छा बोलते हैं। हमें उनकी इस बात की सराहना करनी चाहिए, न कि आलोचना।

उन्होंने कहा, "अगर मोदी जी चाहें तो इंग्लिश में भी बोल सकते हैं, लेकिन इस बात पर मजाक उड़ाना बिल्कुल भी सही नहीं है।"

अमीश त्रिपाठी ने दूसरे देशों के नेताओं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जापान और चीन के नेताओं के उदाहरण देते हुए कहा कि वे सभी अपनी भाषा में बोलते हैं, लेकिन उन पर कोई नहीं हंसता।

उन्होंने सवाल किया, "जब दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता, तो हम भारत में ऐसा क्यों करते हैं?"

अमीश ने कहा कि इंग्लिश का प्रभाव अच्छा हो सकता है, लेकिन इसे बोलने का दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि लोग खुद को ही छोटा समझने लगें।

उन्होंने जोर देकर कहा, "अब वक्त आ गया है कि हम इस दबाव को खत्म करें और अपनी भाषाओं पर गर्व करें।"

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धारा प्रवाह इंग्लिश नहीं बोलने पर कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर ट्रोल किया।

--आईएएनएस

पीके/एकेजे

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