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हर फिल्म से पहले महीनों रिसर्च करती हैं मेघना गुलजार, तभी कहानी बनती है दमदार

मुंबई, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। मेघना गुलजार आज बॉलीवुड की उन निर्देशकों और लेखकों में से एक हैं, जिनकी फिल्मों में हर किरदार और हर सीन में जीवन की झलक देखने को मिलती है। मेघना को उनकी फिल्म बनाने की अनूठी शैली के लिए जाना जाता है। वह पहले महीनों तक रिसर्च करती हैं और फिर कहानी को इतनी खूबसूरती से पर्दे पर पेश करती हैं कि दर्शक हर भाव में खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।
हर फिल्म से पहले महीनों रिसर्च करती हैं मेघना गुलजार, तभी कहानी बनती है दमदार

मुंबई, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। मेघना गुलजार आज बॉलीवुड की उन निर्देशकों और लेखकों में से एक हैं, जिनकी फिल्मों में हर किरदार और हर सीन में जीवन की झलक देखने को मिलती है। मेघना को उनकी फिल्म बनाने की अनूठी शैली के लिए जाना जाता है। वह पहले महीनों तक रिसर्च करती हैं और फिर कहानी को इतनी खूबसूरती से पर्दे पर पेश करती हैं कि दर्शक हर भाव में खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।

उनकी यही खासियत उन्हें अन्य निर्देशकों से अलग बनाती है। चाहे वह सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म हो या कल्पनाशील कहानी, मेघना हर बार अपने दर्शकों को हैरान कर देती हैं।

मेघना गुलजार का जन्म 13 दिसंबर 1973 को मुंबई में हुआ था। वह बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और निर्देशक गुलजार और 70 के दशक की अभिनेत्री राखी की बेटी हैं। बचपन से ही मेघना पिता की रचनात्मक दुनिया से जुड़ी रहीं। उनकी किताबों और कहानियों ने मेघना के दृष्टिकोण को आकार दिया। हालांकि उनके माता-पिता का रिश्ता उनके जन्म के कुछ समय बाद टूट गया, लेकिन मेघना ने अपने पिता के साथ एक गहरा और खास रिश्ता कायम रखा। गुलजार ने हमेशा उनकी परवरिश में सक्रिय भूमिका निभाई और मेघना ने अपना करियर उनके मार्गदर्शन में आगे बढ़ाया।

अपने करियर की शुरुआत मेघना ने पत्रकारिता से की। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में फ्रीलांसर के रूप में काम किया और वहीं से फिल्म और कहानियों में रुचि बढ़ती गई। इसके बाद वह बॉलीवुड में निर्देशक सईद मिर्जा की असिस्टेंट बन गईं और वहां उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियों को सीखा। सीखने के जुनून के चलते मेघना न्यूयॉर्क भी गईं, जहां उन्होंने फिल्म निर्माण की नई तकनीकों की जानकारी हासिल की।

मेघना गुलजार की पहली निर्देशित फिल्म 'फिलहाल…' थी, जो 2002 में रिलीज हुई। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही, लेकिन फिल्म ने मेघना को सीखने और बेहतर बनने का अनुभव दिया। 2015 में उन्होंने फिल्म 'तलवार' बनाई, जो एक सच्ची घटना पर आधारित थी। इस फिल्म में इरफान खान, कोंकणा सेन शर्मा और नीरज काबी अहम किरदार में थे। यह फिल्म 2008 के नोएडा के आरुषि हत्याकांड पर आधारित थी।

इस फिल्म के लिए मेघना ने महीनों तक केस की रिसर्च की और हर सीन को वास्तविकता के करीब लाने का प्रयास किया। फिल्म ने दर्शकों और क्रिटिक्स दोनों से सराहना पाई और मेघना की मेहनत रंग लाई।

इसके बाद मेघना ने 2018 में 'राजी' बनाई, जिसमें आलिया भट्ट मुख्य भूमिका में थीं। यह फिल्म भी सच्ची घटनाओं और देशभक्ति की भावनाओं पर आधारित थी।

मेघना ने इस फिल्म के लिए भी कई महीनों तक रिसर्च की और छोटे-छोटे डिटेल्स पर ध्यान दिया, जिससे कहानी और भी विश्वसनीय बन गई। 2020 में उन्होंने 'छपाक' बनाई, जो एसिड अटैक विक्टिम सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित थी। यहां भी उनकी रिसर्च और कहानी कहने की कला ने दम दिखाया और दर्शकों ने फिल्म को पसंद किया।

इसके अलावा, विक्की कौशल की फिल्म 'सैम बहादुर' में भी मेघना ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के जीवन पर महीनों रिसर्च की और उनके जीवन के हर पहलू को बड़ी संवेदनशीलता के साथ पर्दे पर उतारा।

मेघना की फिल्मों में मनोरंजन के साथ दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने की भी ताकत होती है। मेघना गुलजार को उनकी फिल्मों के लिए बेस्ट डायरेक्टर समेत कई पुरस्कार और नामांकन मिले।

--आईएएनएस

पीके/एबीएम

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