Satyajit Ray Birth Anniversary Special : भारतीय सिनेमा इतिहास के इस महान निर्देशक की 103वीं जयंती पर जानिए कुछ अनसुने किस्से
मनोरंजन न्यूज़ डेस्क - भारतीय सिनेमा के महान और दिवंगत फिल्म निर्माता सत्यजीत रे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वह एक महान लेखक, कलाकार, चित्रकार, फिल्म निर्माता, गीतकार, कॉस्ट्यूम डिजाइनर थे। कला और साहित्य से जुड़े एक रचनात्मक परिवार में जन्मे सत्यजीत रे ने अपने करियर की शुरुआत एक विज्ञापन एजेंसी से की थी। सत्यजीत रे को उनकी पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, जिसने भारतीय सिनेमा को बड़े स्तर पर सुर्खियों में ला दिया था। आज सत्यजीत रे की 103वीं जयंती है। ऐसे में इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।
सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921 को कोलकाता में हुआ था। वह एक ऐसे निर्देशक थे जो किसी कलाकार को नहीं बल्कि एक आम आदमी को पर्दे पर लेकर आये. यही कारण है कि उनका नाम भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में सबसे ऊपर आता है। उनकी फिल्मों, निर्देशन और पेंटिंग की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है और उनके कुछ कामों के लिए उन्हें पद्मश्री, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार और ऑस्कर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
उनकी पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' थी। जिसे खूब सराहा गया. साथ ही इस फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल में भी काफी सराहना मिली थी. इस फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते. इसके अलावा सत्यजीत ने अंग्रेजी और बांग्ला दोनों भाषाओं के अखबारों और पत्रिकाओं में सिनेमा पर लेख लिखे। आपको बता दें, सत्यजीत रे के बारे में अगर यह कहा जाए कि उन्होंने घुटनों पर झुके भारत के सिनेमा को शिक्षा दी तो यह गलत नहीं होगा. क्योंकि उस समय सत्यजीत रे की फिल्मों ने फिल्म जगत का निर्माण किया था. हालांकि, उन्होंने ज्यादातर फिल्में बांग्ला में ही बनाईं। उन्होंने हिंदी में 'शतरंज के खिलाड़ी' जैसी फिल्म बनाई। जो हिंदी सिनेमा की एक यादगार फिल्म है।
आपको बता दें, सिनेमा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें विशेष ऑस्कर दिया गया था। यही वो साल था जब सिनेमा का ये सितारा हम सभी को हमेशा के लिए अलविदा कह गया. सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए सत्यजीत रे को ऑस्कर देने समिति के अध्यक्ष भारत आये थे. सत्यजीत रे बीमारी के कारण यात्रा नहीं कर सके। 1992 में फिल्मों में उनके योगदान के लिए उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी दिया गया।