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अब कमल हासन ने बोला सनातन धर्म पर हमला! बोले - 'डीएमके की राजनीति में कब तक होता रहेगा ये 'ढोंग'?

अब कमल हासन ने बोला सनातन धर्म पर हमला! बोले - 'डीएमके की राजनीति में कब तक होता रहेगा ये 'ढोंग'?

अब तक स्कूली ज्ञान यही था कि शिक्षा हमारे जीवन से अंधकार दूर करती है। यह सभी धर्मों में व्याप्त बुराइयों को दूर करती है। लेकिन अब एक नया ज्ञान आया है कि शिक्षा सनातन धर्म की बेड़ियाँ तोड़ सकती है। यह ज्ञान देने वाले तमिल फिल्मों के महान अभिनेता कमल हासन हैं। उन्होंने शिक्षा को सनातन धर्म की बेड़ियाँ तोड़ने का एक हथियार बताया है। ये वही कमल हासन हैं जो खुद को नास्तिक कहते हैं और कहते हैं कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। लेकिन तमिलनाडु की राजनीति की व्यवस्था उन्हें सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया कहते रहने पर मजबूर करती है। आखिर डीएमके ने उन्हें यूँ ही राज्यसभा नहीं भेजा है। कभी-कभी सनातन या हिंदुत्व को गाली देते रहना पड़ता है।

लेकिन कमल हासन साहब को कौन बताए कि शिक्षा केवल सनातन धर्म ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों की रूढ़ियों और बेड़ियों को तोड़ने में सक्षम है। शिक्षा तर्क, जिज्ञासा और समानता को बढ़ावा देती है, जो हर धर्म की कट्टरता और सामाजिक बंधनों को चुनौती देती है। उदाहरण के लिए, सनातन धर्म में जाति व्यवस्था एक कमज़ोरी रही है, लेकिन शिक्षा ने दलितों और अन्य वंचित वर्गों को सशक्त बनाया है। इसी तरह, इस्लाम में भी कई बुराइयाँ हैं। लेकिन शिक्षा ने यहाँ भी काफ़ी बदलाव किया है। यह शिक्षा का ही चमत्कार है कि मुस्लिम महिलाओं के लिए पर्दा प्रथा, तीन तलाक़ और पुरुषों को चार पत्नियाँ रखने का अधिकार जैसी बुराइयों पर काफ़ी हद तक काबू पाया जा सका है। कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध रूढ़िवादिता से उत्पन्न हुए थे, जिन्हें मलाला यूसुफ़ज़ई के आंदोलनों ने तोड़ा।

ईसाई धर्म में भी कई बुराइयाँ हैं, जो इतनी प्रगति और शिक्षा के बाद भी अमेरिका और यूरोपीय देशों में मौजूद हैं। यह अमेरिका और यूरोप में कैथोलिक चर्च का ही प्रभाव है कि एक मासूम लड़की को भी अनचाहे गर्भ को गिराने का अधिकार नहीं है। लेकिन हासन की आँखों पर लगे DMK के चश्मे की वजह से उन्हें सारी बुराइयाँ सिर्फ़ सनातन में ही दिखाई देती हैं। या यह भी हो सकता है कि उन्होंने जानबूझकर सिर्फ़ सनातन का अपमान करने का ठेका ले रखा हो।

क्योंकि कमल हासन का यह कहना तर्कसंगत होता कि शिक्षा सभी धर्मों की बेड़ियाँ तोड़ देती है। लेकिन शायद उनमें यह कहने का साहस नहीं था। क्योंकि वे भी जानते हैं कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे सहिष्णु धर्म है। उनके नेता उदयनिधि मारन ने एक बार सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया कहा था, फिर भी उन्हें कोई धमकी नहीं मिली, उनके नाम पर कोई फतवा जारी नहीं हुआ।

कभी मीडिया के सामने खुद को ब्राह्मण बताने वाले हासन कितने अवसरवादी हैं, इसका अंदाज़ा उनके हालिया बयान को देखकर लगाया जा सकता है। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में अपनी दो शादियों को लेकर तर्क दिया था। हासन ने बताया कि एक बार उनसे पूछा गया था कि उन्होंने दो शादियाँ क्यों कीं, तो उन्होंने तुरंत राजा दशरथ की शरण ली थी। तब उन्होंने कहा था कि मैं किसी भगवान की पूजा नहीं करता। मैं राम के मार्ग पर नहीं चलता। शायद मैं अपने पिता (दशरथ) के मार्ग पर चलता हूँ। कमल हासन ने हिंदू पौराणिक कथाओं का हवाला दिया, जिसमें राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं - कौशल्या (भगवान राम की माँ), सुमित्रा और कैकेयी।

इसी तरह, जब उन्हें जनता से वोट माँगने होते हैं, तो वे तमिलनाडु की जनसांख्यिकी के अनुसार खुद को नास्तिक घोषित कर देते हैं। यानी, वे खुद को ब्राह्मण होने से इनकार करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन जब उनसे उनकी दो शादियों के बारे में पूछा जाता है, तो वे हिंदू धर्म का सहारा लेते हैं। तमिलनाडु में हिंदुओं को डेंगू-मलेरिया समझने वाली पार्टी सत्ता में है, इसलिए हासन कहते हैं कि केवल शिक्षा ही सनातन की बेड़ियाँ तोड़ सकती है।

कमल हासन ने 2015 में कहा था कि वे नास्तिक नहीं, बल्कि तर्कवादी हैं और हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। लेकिन जब देश में मुस्लिम आतंकवाद दिखाने वाली फ़िल्में सुपरहिट हुईं, तो कमल हासन ने अपनी फ़िल्म विश्वरूपम (2013) को हिट बनाने के लिए अपने सिद्धांतों को ताक पर रख दिया। हासन पर मुस्लिम समुदाय से जुड़ा आतंकवाद दिखाने का आरोप लगा। हालाँकि, उन्होंने इससे इनकार किया और कहा कि वे किसी भी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं हैं।

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