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जानिए Firoz Khan कैसे बने थे Jr. Amitabh Bachchan, पिता नहीं चाहते थे घर से दूर जाए बेटा 

जानिए Firoz Khan कैसे बने थे Jr. Amitabh Bachchan, पिता नहीं चाहते थे घर से दूर जाए बेटा 

मनोरंजन न्यूज़ डेस्क -  मशहूर अभिनेता फिरोज खान का कल निधन हो गया। इस खबर से पूरी सिनेमा इंडस्ट्री सदमे में थी. फिरोज के निधन से न सिर्फ उनके चाहने वाले बल्कि हर कोई बेहद दुखी हो गया। हर कोई एक्टर की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा है. यह तो सभी जानते हैं कि फिरोज खान अपने काम और लुक के लिए जाने जाते थे। जी हां, बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की तरह दिखने वाले फिरोज हमेशा लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहे। हालांकि, फिरोज खान से जूनियर अमिताभ बच्चन तक का उनका सफर आसान नहीं था। आइए आपको बताते हैं कि फिरोज जूनियर को अमिताभ बच्चन कैसे कहा जाने लगा?

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कलाकार कभी एक जैसे नहीं होते
फिरोज खान को उनके काम के लिए पहचाना जाता है. फिरोज ने खुद एक इंटरव्यू में अपने बारे में बताया था. इस दौरान फिरोज ने कहा था कि कोई भी कलाकार कभी एक जैसा नहीं होता। उसके पास हर तरह की तरंगें हैं, हर तरह की मस्ती है और वह अपनी हर मस्ती को दुनिया के सामने पेश करना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि मैं खुद बच्चन साहब का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। मैंने बचपन से ही उनकी छोटी-छोटी बातें, उनका स्टाइल देखा है और ये सब मुझे बहुत पसंद था।

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पान वाला मेरा मुँह देखने लगा
फ़िरोज़ ने आगे कहा कि जब मैंने पहली बार फिल्म दीवार देखी और जब मैं पहली बार बाहर निकला और पान की दुकान पर गया. वहां जाकर मैंने कहा, अरे... चलो जल्दी से पान खा लो, तो पान वाला तुरंत मेरा चेहरा देखने लगा. इसके बाद पान वाले ने कहा कि आप तो कमाल के हैं तो मैंने कहा हां, मुझे जल्दी से पान मिल गया। फ़िरोज़ ने कहा कि मेरे अंदर अचानक जो बात आई, उससे मेरे छोटे से शहर के लोग हैरान रह गए।

मैं अभी 21-22 साल का था
उस वक्त बच्चन साहब के प्रति इतनी दीवानगी थी कि ऐसा लगता था मानो मैं ही उनके लिए बच्चन हूं, तो यहीं से शुरुआत हुई. फिरोज ने कहा कि उन्हें पहली एक्टिंग से ही तारीफें मिलीं और यहीं से ये सफर शुरू हुआ. लोगों की तारीफ ने मुझमें बहुत हिम्मत भर दी और मैं फिर से मुंबई की ओर चल पड़ा। फिरोज ने कहा कि मेरा मन अमिताभ बच्चन की दीवानगी से भर गया था और उस वक्त मैं सिर्फ 21-22 साल का था।

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पिता नहीं चाहते थे कि बेटा दूर जाए

हालाँकि मेरे परिवार में सभी लोग मेरे मुंबई जाने पर सहमत थे, लेकिन मेरे पिता सहमत नहीं थे। वह नहीं चाहता था कि उसका बेटा उससे दूर जाए इसलिए उसने कहा कि भाई कहां जा रहे हो, क्या करोगे? हमें समझ नहीं आ रहा कि वह कहां जा रहा है? भाई, तुम ऐसा करो, घर पर रहो और यहीं काम करो। वह मुंबई में कहां जाएंगे? लेकिन शौक तो शौक होता है भाई, मैं दिन भर अमित जी की एक्टिंग करता रहता था और जब मेरे पापा ने देखा कि लोगों को ये सब पसंद आ रहा है तो वो मान गए और मैं मुंबई आ गया।

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