Asha Parekh Birthday : लाखों दिलों पर राज करने वाली आशा को ताउम्र नही मिला अपना प्यार, इस वजह से कभी नही की शादी
मनोरंजन न्यूज़ डेस्क - 60 और 70 के दशक की बेहतरीन अभिनेत्रियों की बात की जाए तो उसमें आशा पारेख का नाम जरूर शामिल होता है। आशा पारेख ने अपने जमाने में फिल्मी पर्दे पर राज किया। उनके चुलबुले अंदाज और ग्लैमरस अवतार ने दर्शकों का दिल जीत लिया। आज 2 अक्टूबर को वह अपना जन्मदिन मना रही हैं। 81 साल की आशा पारेख का फिल्मी सफर जितना सफल रहा, उनकी प्रेम कहानी उतनी ही निराशाजनक रही। जिस शख्स से उन्होंने प्यार किया, वह पहले से शादीशुदा था। इसलिए आशा पारेख ने उससे शादी नहीं की। आइए आज उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें।
आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात में हुआ था। गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाली आशा की मां मुस्लिम और पिता गुजराती थे। 60-70 के दशक में दर्शक उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते थे। उस दौर में आशा पारेख सिर्फ अपनी फिल्मों के लिए ही नहीं बल्कि अपनी फीस के लिए भी जानी जाती थीं। वह उस दशक की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में शामिल थीं। उन्होंने कई अलग-अलग फिल्मों में काम करके अपना नाम बनाया।
आपको बता दें कि बड़े पर्दे पर लाखों दिलों की धड़कन बन चुकी आशा पारेख असल जिंदगी में बिल्कुल अकेली हैं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में शादी नहीं की है। एक्ट्रेस को शादी न करने का कोई अफसोस नहीं है। आशा पारेख ने कहा कि उनकी किस्मत में शादी नहीं लिखी थी और उन्हें खुशी है कि वह सिंगल हैं। कहा जाता है कि अपने समय में उनकी छवि एक ऐसी एक्ट्रेस की थी, जिन तक पहुंचना या मिलना आसान नहीं था। शायद इसीलिए कभी किसी ने उनका हाथ नहीं मांगा। दरअसल, 1959 में आई फिल्म 'दिल दे के देखो' से बॉलीवुड में एंट्री करने वाली आशा पारेख अपनी पहली फिल्म की शूटिंग के दौरान ही डायरेक्टर के प्यार में पड़ गई थीं।
फिल्म 'दिल दे के देखो' के डायरेक्टर नासिर हुसैन थे, जिन्होंने 'तीसरी मंजिल' और 'फिर वही दिल लाया हूं' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई हैं। आशा पारेख आमिर खान के चाचा और निर्देशक नासिर हुसैन की शानदार शख्सियत पर अपना दिल हार बैठीं और दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। जब आशा पारेख ने अपनी जीवनी 'द हिट गर्ल' में इस बात का जिक्र किया तो उनके प्यार की यह कहानी पूरी दुनिया के सामने आई। इस किताब के लॉन्च के दौरान आशा ने स्वीकार किया था कि नासिर ही एकमात्र ऐसे शख्स थे जिनसे उन्होंने कभी प्यार किया था।
आशा पारेख ने उस दौर में 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। इनमें 'जब प्यार किसी से होता है' (1961), 'फिर वही दिल लाया हूं' (1963), 'मेरे सनम' (1965), 'तीसरी मंजिल' (1966), 'बहारों के सपने' (1967), 'शिकार' (1968), 'प्यार का मौसम' (1969), 'कटी पतंग' (1970) और 'कारवां' (1971) जैसी बेहतरीन फिल्मों के नाम शामिल हैं। सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्ष 2020 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।