बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना: जब लड़कियां खून से खत लिखती थीं और उनका घर बना था टूरिस्ट स्पॉट

भारतीय सिनेमा के इतिहास में जब भी सुपरस्टारडम की बात होती है, तो सबसे पहला नाम राजेश खन्ना यानी ‘काका’ का ही लिया जाता है। वह न सिर्फ बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार थे, बल्कि उन्होंने जो दीवानगी अपने दौर में देखी, वह शायद ही किसी और अभिनेता को नसीब हुई हो। उनका करिश्मा ऐसा था कि लड़कियां खून से खत लिखा करती थीं, उनके घर के बाहर भीड़ लगी रहती थी, और उनकी एक झलक पाने के लिए फैंस घंटों इंतजार किया करते थे।
आज भले ही राजेश खन्ना इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें, उनकी फिल्में और उनका स्टारडम आज भी ज़िंदा है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे राजेश खन्ना बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बने और उनका करियर और फैन फॉलोइंग कैसी रही।
राजेश खन्ना का घर बना था मुंबई का टूरिस्ट स्पॉट
हाल ही में इंस्टाग्राम पर @masoomshishu नामक अकाउंट पर राजेश खन्ना का एक थ्रोबैक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह खुद बता रहे हैं कि एक समय ऐसा था जब उनका घर मुंबई के टूरिस्ट मैप में शामिल होता था। “जो भी मुंबई आता, वो मेरे घर के बाहर जरूर रुकता। अगर मैं घर पर होता तो फैंस से जरूर मिलता, क्योंकि उन्हीं की वजह से मैं 'राजेश खन्ना' बना। फैंस नहीं होते तो मैं कुछ भी नहीं होता।” इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर लोगों को भावुक कर दिया। हजारों लोग वीडियो को लाइक कर चुके हैं और कमेंट्स में उन्हें “मेगास्टार, लीजेंड और आइकन” जैसे शब्दों से नवाजा जा रहा है।
फैन फॉलोइंग की वो दीवानगी जो आज भी मिसाल है
राजेश खन्ना के प्रति लोगों की दीवानगी इतनी थी कि लड़कियां उन्हें खून से खत लिखती थीं, उनके नाम की मांग भरती थीं, और उनके पोस्टर पर सिंदूर चढ़ाया करती थीं। जब वह अपनी कार से बाहर निकलते थे, तो कार पर लिपस्टिक के निशान लग जाते थे। एक समय पर उन्होंने एक के बाद एक 15 सुपरहिट फिल्में दीं, और तब उन्हें ‘द वन मैन इंडस्ट्री’ भी कहा जाने लगा।
ऐसा रहा राजेश खन्ना का फिल्मी करियर
29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतीन खन्ना था। 10 साल की उम्र में उन्होंने थिएटर से शुरुआत की और धीरे-धीरे एक्टिंग में अपना नाम बनाया। साल 1965 में एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता जीतने के बाद उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री मिली। 1966 में फिल्म "आखिरी खत" से उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिर्फ तीन साल के भीतर उन्होंने अराधना (1969), सच्चा झूठा, आनंद, कटी पतंग, प्रेम नगर, अमर प्रेम, दाग, बावर्ची जैसी फिल्में दीं और हर घर में उनका नाम गूंजने लगा। फिल्म "आनंद" में उनका संवाद – “बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं” – आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
शोहरत के साथ-साथ विवाद और निजी जीवन
राजेश खन्ना की शोहरत के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी भी सुर्खियों में रही। उन्होंने मशहूर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियां हैं, जिनमें से एक ट्विंकल खन्ना आज लेखिका और फिल्म निर्माता के रूप में जानी जाती हैं। हालांकि, समय के साथ उनका करियर ढलान की ओर बढ़ा और नए स्टार्स जैसे अमिताभ बच्चन ने इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली। इसके बावजूद, राजेश खन्ना की स्टारडम का वह युग आज भी याद किया जाता है।
18 जुलाई 2012 को हमेशा के लिए अलविदा
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने के बाद 18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग उमड़े, और यह साबित हो गया कि एक बार जो दिलों पर राज कर गया, वह हमेशा जिंदा रहता है।
निष्कर्ष: एक युग, एक नाम – राजेश खन्ना
राजेश खन्ना सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, वह एक संवेदना थे, एक इमोशन थे। उनका करिश्मा आज भी फिल्मों, कहानियों और यादों में जिंदा है। आज जब भी सुपरस्टार की बात होती है, तो सबसे पहले नाम उन्हीं का आता है – क्योंकि वो पहले थे, सबसे अलग थे और आज भी दिलों में हैं – बॉलीवुड के काका, राजेश खन्ना।