आखिर क्यों बॉलीवुड की पहली पसंद है चंबल नदी के बीहड़, वीडियो में जाने यहां कौन-कौन सी फिल्मों की हो चुकी है शूटिंग
मनोरंजन न्यूज़ डेस्क -दशकों तक खूंखार डकैतों की पनाहगाह के रूप में कुख्यात रही चंबल घाटी का अस्तित्व भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस बीहड़ क्षेत्र के प्रति फिल्म निर्देशकों का आकर्षण कतई कम नहीं हुआ है। डकैतों के जीवन से जुड़ी सैकड़ों फिल्मों की शूटिंग चंबल की बीहड़ घाटियों में हो चुकी है। खास तौर पर फिल्म बनाते समय निर्माता-निर्देशकों ने चंबल के बीहड़ों का रुख किया है। इस लिहाज से एक बात तो साफ हो गई है कि डकैतों पर बनी फिल्मों के लिए चंबल आज भी निर्माता-निर्देशकों की पहली पसंद बना हुआ है। डकैतों से जुड़ी जितनी भी फिल्में बनी हैं, उनमें लोकेशन के लिहाज से चंबल की भूमिका सबसे अहम रही है।
फिल्म 'शोले' की शूटिंग
दरअसल, फिल्म की ज्यादातर शूटिंग बीहड़ों में हुई है। अगर डकैतों के जीवन से जुड़ी चर्चित और बदनाम फिल्मों की बात करें तो सैकड़ों फिल्में इस चंबल की गवाह बनी हैं, लेकिन हर फिल्म लोकप्रियता की दहलीज तक नहीं पहुंच पाई है। फिल्म 'शोले' सिनेमाई दुनिया में मील का पत्थर मानी जाती है। 1975 में बनी इस फिल्म में चंबल को जिस तरह से पेश किया गया, वह वाकई काबिले तारीफ है। इसके अलावा जिस देश में गंगा बहती है, मेरा गांव मेरा देश मुझे जीने दो, बिंदिया और बंदूक, डकैत जैसी कई फिल्मों में खूबसूरत बीहड़ों और डाकुओं के अत्याचार की कहानी को पर्दे पर उतारा गया है।
असली शूटिंग के लिए चंबल के बीहड़ सबसे उपयुक्त हैं
इससे पहले डाकू हसीना, डाकू सुल्ताना, मदर इंडिया, डाकू मंगल सिंह, जीने नहीं दूंगा, मेरा गांव मेरा देश के अलावा फिल्म मेकर्स कोई नाम नहीं सोच पाए थे, इसलिए चंबल की कसम और चंबल के डाकू नाम से फिल्में बनाई गईं। यह तो महज एक नमूना था। यही वजह है कि दुनिया भर में लोग प्रकृति की इस अद्भुत घाटी को सिर्फ और सिर्फ डाकुओं की वजह से ही जानते हैं। फूलन देवी के जीवन पर आधारित शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन की चर्चा से कोई नहीं बच सकता। इसी तरह सीमा परिहार के जीवन पर आधारित कृष्णा मिश्रा की फिल्म वुंडेड को भी जगह मिल सकती है। वुंडेड नामक फिल्म बनाकर चंबल का लुत्फ उठा चुके फिल्म निर्माता कृष्णा मिश्रा का कहना है कि वास्तविक शूटिंग के लिए चंबल के बीहड़ सबसे उपयुक्त हैं। यही वजह है कि निर्माता चंबल के आकर्षण से दूर नहीं हो पाते।
चंबल के डकैतों पर बन चुकी हैं 100 से ज्यादा फिल्में
चंबल के डकैतों पर 100 से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं। इनमें सनी देओल की फिल्म डकैत की शूटिंग अटेर गांव स्थित एक हवेली में हुई थी। डकैतों पर अब तक की सबसे चर्चित फिल्म बैंडिट क्वीन फूलन देवी के जीवन पर बनी थी। इसके अलावा फिल्म चंबल की कसम की शूटिंग भी यादगार रही। तिग्मांशु धूलिया द्वारा निर्देशित पान सिंह तोमर बेमिसाल है क्योंकि यह फिल्म पान सिंह तोमर के वास्तविक जीवन पर आधारित है और तोमर के डकैत बनने की कहानी को पुलिस की करतूतों को उजागर करने के लिए पेश किया गया है।
चंबल पर आधारित 'इश्किया', 'डेड इश्किया' और 'उड़ता पंजाब'
बुलेट राजा की कुछ शूटिंग उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सहसो थाने और चंबल नदी में भी की गई है। अभिषेक चौबे स्टारर फिल्म सोन चिरैया की शूटिंग चंबल में शुरू हो गई है। 'इश्किया', 'डेड इश्किया' और 'उड़ता पंजाब' जैसी फिल्में बना चुके निर्देशक अभिषेक चौबे की यह फिल्म पूरी तरह चंबल पर आधारित है। सोन चिरैया नाम की यह फिल्म 1970 के दशक की है जब चंबल के बीहड़ों में खूंखार डकैतों का राज था।