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समस्तीपुर में इन दिग्गजों के बच्चे आए आमने-सामने, चुनावी जंग हुई रोचक, जानें कौन किसके सामने हैं खड़ा ?

देश में लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार लोकसभा चुनाव है. राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. नेता और उम्मीदवार कड़ी धूप में रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं. बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट....
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बिहार न्यूज डेस्क !! देश में लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार लोकसभा चुनाव है. राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. नेता और उम्मीदवार कड़ी धूप में रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं. बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा. यहां से दो मंत्रियों के बेटे-बेटियां आमने-सामने हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि दोनों मंत्री नीतीश कैबिनेट में एक ही पार्टी जेडीयू से मंत्री हैं. अब उनके बच्चे अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं. एलजेपी से शांभवी चौधरी और कांग्रेस से सनी हजारी मैदान में हैं. चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार की बेहद खास और मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को समस्तीपुर से टिकट दिया है. शांभवी को जीत दिलाने की पूरी जिम्मेदारी पिता अशोक चौधरी ने ली है. वह लगातार समस्तीपुर में कैंप कर अपनी बेटी के लिए प्रचार कर रहे हैं. शांभवी मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष किशोर कुणाल की बहू हैं. किशोर कुणाल के बेटे श्याम कुणाल भी अपनी पत्नी के लिए प्रचार कर रहे हैं.

महागठबंधन ने नीतीश सरकार के एक मंत्री के बेटे को उम्मीदवार बनाया है

भारतीय ग्रैंड अलायंस ने नीतीश कैबिनेट में दलित नेता और सूचना जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सनी हजारी को उम्मीदवार बनाया है. सनी हजारी समस्तीपुर के खानपुर प्रखंड के प्रमुख भी हैं. साफ है कि दोनों उम्मीदवारों के मैदान में आने से जेडीयू में हलचल तेज है और मुकाबला भी दिलचस्प हो गया है.

स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा गरमाया

सनी हजारी के मैदान में उतरने के बाद समस्तीपुर में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा गरमा गया है. सनी खुद को समस्तीपुर का बेटा और शांभवी को बाहरी बता रहे हैं. महेश्वर हजारी इस वक्त धर्मसंकट में हैं. वह अपने बेटे के लिए प्रचार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वह महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. इस संबंध में महेश्वर हजारी का कहना है कि मैं जेडीयू के साथ हूं और फिलहाल मधेपुरा का प्रभारी हूं. रही बात मेरे बेटे की वह इंजीनियर और ब्लॉक प्रमुख हैं और अपनी राजनीति अपने दम पर करते हैं। उनका उपनाम हजारी जुड़ा हुआ है, जिन्होंने समस्तीपुर की बहुत सेवा की है।

इस सीट पर एनडीए का दबदबा है

बिहार का समस्तीपुर जिला कृषि और उद्योग के लिए जाना जाता है। यहां डाॅ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है, जो देश के प्रतिष्ठित कृषि विश्वविद्यालयों में गिना जाता है। समस्तीपुर लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से इस सीट पर एनडीए का कब्जा हो गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में रामचन्द्र पासवान ने एनडीए की सहयोगी पार्टी एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और लगातार दूसरी जीत हासिल की.

समस्तीपुर लोकसभा सीट 6 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है

समस्तीपुर लोकसभा सीट पहले सामान्य सीट थी, लेकिन 2009 के परिसीमन के बाद यह सीट एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हो गई। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें समस्तीपुर, कल्याणपुर, वारिसनगर, रोसड़ा, कुशेश्वर स्थान और हायाघाट शामिल हैं। कुशेश्वर स्थान और हायाघाट दरभंगा जिले का हिस्सा हैं.

क्या है जातीय समीकरण?

समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा और यादव जाति के लोग अधिक हैं. अनुसूचित जाति की जनसंख्या भी अधिक है। सामान्य और ओबीसी समुदाय के मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है.

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