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कौन पैदा करता है ज्यादा बच्चे? हिंदू-मुस्लिम जन्म दर पर नवनीत राणा के बयान के बीच फैक्ट चेक

कौन पैदा करता है ज्यादा बच्चे? हिंदू-मुस्लिम जन्म दर पर नवनीत राणा के बयान के बीच फैक्ट चेक​​​​​​​

बीजेपी नेता नवनीत राणा ने हाल ही में कहा कि देश को बचाने के लिए हिंदुओं के चार बच्चे होने चाहिए। उन्होंने इशारों-इशारों में मुस्लिम समुदाय पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग ज़्यादा बच्चे पैदा करके भारत को पाकिस्तान बनाने की साज़िश रच रहे हैं। इस बयान से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। विपक्षी पार्टियों ने इसे भड़काऊ और बेबुनियाद बताया, और आम जनता ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। आइए तथ्यों की जांच करके समझते हैं कि हिंदू और मुसलमानों में से किसके ज़्यादा बच्चे हैं।

तथ्य क्या कहते हैं?

राजनीतिक बयानबाज़ी को एक तरफ रखकर, अगर हम इस सवाल को तथ्यों के आधार पर देखें, तो इसका जवाब सरकारी डेटा में मिलता है। भारत में जनसंख्या और प्रजनन दर को मापने का सबसे भरोसेमंद ज़रिया नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) है, जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज करता है।

NFHS-6 क्या कहता है?

NFHS-6 (2023-24) के अब तक सार्वजनिक किए गए तथ्य साफ दिखाते हैं कि भारत की कुल प्रजनन दर लगातार घट रही है, और देश रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे पहुँच गया है। इसका मतलब है कि औसतन एक महिला अब दो से कम बच्चों को जन्म दे रही है। हालांकि, यह भी एक ज़रूरी बात है कि अब तक जारी NFHS-6 रिपोर्ट में धर्म के आधार पर प्रजनन दर का विस्तृत डेटा नहीं दिया गया है। इसलिए, NFHS-6 के आधार पर हिंदू-मुस्लिम तुलना का कोई सीधा दावा इस समय आधिकारिक तौर पर संभव नहीं है।

तो फिर हम तुलना को कैसे समझ सकते हैं?

धर्म के अनुसार प्रजनन दर की आखिरी आधिकारिक तस्वीर NFHS-5 (2019-21) से मिली थी। उस सर्वे के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं की कुल प्रजनन दर लगभग 2.36 थी, जबकि हिंदू महिलाओं की यह दर लगभग 1.94 थी। इसका मतलब है कि उस समय मुस्लिम समुदाय में जन्म दर हिंदुओं की तुलना में थोड़ी ज़्यादा थी, लेकिन यह अंतर बहुत बड़ा नहीं था।

अंतर तेज़ी से कम हो रहा है

विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे ज़रूरी बात यह है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में प्रजनन दर तेज़ी से घट रही है। शिक्षा, शहरीकरण, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सुविधाओं और परिवार नियोजन जैसे कारकों ने इस अंतर को लगातार कम किया है। कई राज्यों में, मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर अब रिप्लेसमेंट लेवल के आसपास पहुँच गई है।

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