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Students will get online coding education : छात्रों को मिलेगी ऑनलाइन कोडिंग शिक्षा

ऑनलाइन कोडिंग एजुकेशन के वैश्विक लीडर आई कोड ने भारत भर के छात्रों के लिए अपना फ्री प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। संगठन बच्चों को 21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल जैसे कम्प्यूटेशनल थिंकिंग और प्रॉब्लम-सॉल्विंग हासिल करने में मदद करेगा। भारत में अपनी गतिविधि के पहले वर्ष के भीतर आई कोड ने एक मिलियन से ज्यादा
Students will get online coding education : छात्रों को मिलेगी ऑनलाइन कोडिंग शिक्षा

ऑनलाइन कोडिंग एजुकेशन के वैश्विक लीडर आई कोड ने भारत भर के छात्रों के लिए अपना फ्री प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। संगठन बच्चों को 21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल जैसे कम्प्यूटेशनल थिंकिंग और प्रॉब्लम-सॉल्विंग हासिल करने में मदद करेगा। भारत में अपनी गतिविधि के पहले वर्ष के भीतर आई कोड ने एक मिलियन से ज्यादा बच्चों को कोडिंग शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने की योजना बनाई है। दुनिया के सबसे अधिक प्रचलित कोडिंग भाषाओं में से एक, ब्लॉक कोडिंग और पायथन दोनों को सीखने के लिए, आई कोड ने 5-16 साल के बच्चों को सक्षम बनाने के लिए एक विशेष डिजाइन तैयार किया है। आई कोड के मुताबिक छात्रों के कौशल विकास की प्रक्रिया भारत की नई शिक्षा नीति के अनुरूप होगी।

सभी पृष्ठभूमि के छात्रों तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ आई कोड छात्रों से कोई फीस नहीं लेगा। इस कोर्स के लिए केवल नाममात्र की सदस्यता शुल्क ली जाएगी। आई कोड पहले ही वैश्विक स्तर पर आधे मिलियन से अधिक छात्रों तक पहुंच चुका है, और इसे कोडिंग शिक्षा प्रौद्योगिकी, मूल्यांकन और शिक्षक प्रशिक्षण में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है।

संगठन के सीईओ लेरोन लेसनर ने कहा, ” हम भारत को एक विशाल, होनहार युवा आबादी वाले देश के रूप में देखते हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रगति के भविष्य को आकार देगा। नई शैक्षिक नीति 2020 के संयोजन के साथ, भारत में निशुल्क कोडिंग शिक्षा मंच को लॉन्च करके, 21वीं सदी के कौशल से लैस करने में मदद कर सकते हैं, जिनकी उनको स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक विकास में योगदान करने के लिए आवश्यकता होगी। ”

भारत में इस कोडिंग शिक्षा का फैलाव आई कोड की वैश्विक दृष्टि का हिस्सा है। संगठन का उद्देश्य सार्वजनिक से लेकर निजी स्कूलों, स्थानीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों और सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के परिवारों के बच्चों तक पहुंचना है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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