रैगिंग नियमों की अनदेखी: IIT, IIM, AIIMS समेत 89 संस्थान UGC की डिफॉल्टर सूची में शामिल

यूजीसी अब सख्त रुख अपना रहा है। अब देश के प्रतिष्ठित संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सख्ती का सामना करना पड़ रहा है। कई विश्वविद्यालयों को रैगिंग जैसे मुद्दे को नजरअंदाज करना भारी पड़ रहा है। यूजीसी ने देशभर के 89 उच्च शिक्षण संस्थानों को कारण बताओ नोटिस भेजकर डिफॉल्टर सूची में डाल दिया है। ये वे संस्थान हैं, जिन्होंने न तो छात्रों से एंटी रैगिंग हलफनामा लिया और न ही समय पर अनुपालन हलफनामा जमा कराया।
आईआईटी और आईआईएम भी सूची में शामिल
डिफॉल्टर सूची में चौंकाने वाला नाम आईआईटी और आईआईएम जैसे शीर्ष संस्थानों का है। इनमें आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी हैदराबाद और आईआईटी पलक्कड़, आईआईएम मुंबई, आईआईएम रोहतक और आईआईएम तिरुचिरापल्ली शामिल हैं। इसके अलावा एम्स रायबरेली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) और अन्य प्रमुख संस्थान भी इस सूची में हैं।
यूजीसी के नियमों की अनदेखी
यूजीसी सचिव डॉ. मनीष जोशी के मुताबिक, आयोग की ओर से कई बार संस्थानों को रिमाइंडर भेजा गया। एंटी रैगिंग हेल्पलाइन और मॉनिटरिंग एजेंसी ने भी अलर्ट किया, लेकिन इसके बावजूद संस्थान जरूरी कार्रवाई करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ यूजीसी के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों की सुरक्षा से भी छेड़छाड़ है। क्या है नियम? यूजीसी के एंटी रैगिंग रेगुलेशन 2009 के तहत सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को हर सेमेस्टर की शुरुआत में छात्रों और उनके अभिभावकों से रैगिंग के खिलाफ घोषणापत्र लेना जरूरी है। इसका उद्देश्य छात्रों को सुरक्षित और सामंजस्यपूर्ण शैक्षणिक माहौल प्रदान करना है। नहीं मानने पर होगी सख्त कार्रवाई अगर ये संस्थान अगले 30 दिनों में नियमों का पालन नहीं करते हैं तो यूजीसी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है। इससे उनकी फंडिंग रोकने, मान्यता रद्द करने और संबद्धता समाप्त करने जैसे सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। इससे उनके शोध प्रोजेक्ट और अन्य वित्तीय सहायता भी प्रभावित हो सकती है।