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5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में भूमिका निभाएंगे Higher educational institutions

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में भूमिका निभाएंगे Higher educational institutions
एजुकेशन न्यूज डेस्क !!! भारत सरकार अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रयास कर रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भी इस प्रयास में भागीदार है। इसके तहत नवाचार को बढ़ावा देना, सर्वश्रेष्ठ बुनियादी सुविधाओं का निर्माण, भारत को विनिर्माण, डिजाइन एवं नवाचार का केंद्र बनाने की कोशिश की जा रही है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि देश के उच्च शिक्षण संस्थान भारतीय समाज की समस्याओं को हल कर सकते हैं। इसके लिए प्रत्येक मंत्रालय, सरकारी विभाग व उद्योग जगत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों का समर्थन करें।

वहीं उच्च शिक्षण संस्थान नवप्रवर्तन, अनुसंधान की एक समग्र संस्कृति बनाने की दिशा में काम करें और एक नवप्रवर्तक के रूप में अपने सपनों को साकार करने तथा समाज के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए युवा प्रतिभाओं के पोषण में मदद करें।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि सरकार ने कहा कि हमारा लक्ष्य हमारी शिक्षा प्रणाली में नवाचार, उद्यमिता, आलोचनात्मक सोच तथा लीक से अलग हटकर सोच को बढ़ावा देना है, जो कि नई शिक्षा नीति 2020 में भी परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अथक प्रयास कर रही है।

निवेश को सुगम बनाना, नवाचार को बढ़ावा देना, सर्वश्रेष्ठ बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करना तथा भारत को विनिर्माण, डिजाइन एवं नवाचार का केंद्र बनाना हमें सही मायने में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगा।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने शैक्षिक संस्थानों में इनोवेशन इको-सिस्टम का निर्माण विषय पर ई-संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कहीं।

सरकार ने कहा कि अब समय आ गया है जब हर मंत्रालय, सरकारी विभाग, उद्योग जगत की हस्तियां तथा सभी प्रमुख हितधारक सहयोगपूर्वक काम करें और हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों का समर्थन करें, ताकि वे नवप्रवर्तन, अनुसंधान की एक समग्र संस्कृति बनाने की दिशा में काम करें और एक नवप्रवर्तक के रूप में अपने सपनों को साकार करने तथा समाज के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए युवा प्रतिभाओं के पोषण में मदद करें।

इस अवसर पर, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर के. विजय राघवन ने आर्थिक बदलाव तथा स्थिरता के लिए नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें भारत को अनुसंधान एवं विकास के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए अनुसंधान तथा इनोवेशन इको-सिस्टम का वित्तपोषण बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और घरेलू स्टार्ट-अप इको-सिस्टम के साथ एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों तथा शैक्षिक, प्रतिभा विकास एवं सोसिर्ंग, रणनीतिक साझेदारी से जोड़ने की दिशा में सर्वोत्तम वैश्विक तरीकों को अपनाने के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि नवाचार को आर्थिक बदलाव और बाजार के साथ जोड़ा जाना चाहिए और स्वच्छ भारत, मेड इन इंडिया आदि सहित मौजूदा नीतिगत उपायों के साथ तालमेल बिठाना चाहिए। उन्होंने भारतीय युवाओं से देश के आर्थिक विकास को लेकर विचारों को साझा करने के लिए आगे आने का आग्रह किया।

एआईसीटीई के वाइस चेयरमैन प्रो. एम.पी. पुनिया ने शैक्षिक संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों से अत्यधिक प्रत्युत्तर प्राप्त होने और भागीदारी के लिए उनकी सराहना की। इन छात्रों को विश्व भर के 1.2 लाख से अधिक लोगों ने ऑनलाइन देखा। सभी पैनलिस्ट ऐसे प्लेटफार्मों से उत्साहित थे, जिनकी भारत में अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार इको-सिस्टम के निर्माण के लिए बहुत आवश्यकता है।

एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने नवाचार एवं उद्यमिता के क्षेत्र में विशिष्टता की दिशा में तकनीकी संस्थानों के समर्थन में एआईसीटीई की भूमिका के बारे में चर्चा की।

--आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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