उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क आंखों में लाली, खुजली, सूजन सहित अन्य तरह की समस्या होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के आई ड्रॉप का इस्तेमाल न करें. इससे वक्ती तौर पर तो राहत मिल सकती है. लेकिन आजीवन आंखों में जख्म झेलना पड़ सकता है. रोशनी भी प्रभावित हो सकती है. यह स्थिति स्टेरॉएड युक्त आई ड्रॉप के कारण हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि बाजार में ऐसे आई ड्रॉप काफी बिक रहे हैं. इससे आंखों में अल्सर हो रहा है. बीएचयू के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में हर महीने ऐसे 50 से 60 लोग इलाज के लिए आ रहे हैं.
संस्थान के प्रमुख प्रो. वीपी सिंह ने कहा कि जिन लोगों की आंख में पहले से ही घाव है, उनमें स्टेरॉएड वाले आई ड्रॉप से इंफेक्शन हो जाता है. कई लोगों के कॉर्निया में गहरे छिद्र हो जाते हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों को हो रही है.
स्वच्छता का रखें ध्यान
प्रो. वीपी सिंह ने कहा कि आंखों में इंफेक्शन होने पर स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. साथ अपना तौलिया, साबुन और ताकिया अलग रखें. आई फ्लू के मरीज आंख को साफ करने के लिए नल के पानी के बजाय फिल्टर या उबले हुए पानी और रुई का इस्तेमाल करें. संक्रमित आंख में डिस्चार्ज को एकत्रित न होने दें और घर से बाहर निकलते समय काला चश्मा पहनें. डॉक्टर के परामर्श पर ही आई ड्रॉप लें.
कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं लोगों को●
● आंखों पर दबाव बढ़ सकता है और ग्लूकोमा हो सकता है. ● कॉर्निया पर धब्बे आ सकते हैं. ● आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है. ● रेटिना के नीचे तरल पदार्थ जमा हो सकता है, जिससे रेटिना अलग हो सकता है और दृष्टि हानि हो सकती है. ● प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कम हो सकती है, जिससे बैक्टीरियल, वायरल, और फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. ● मोतियाबिंद बनने का खतरा हो सकता है.
वाराणसी न्यूज़ डेस्क