
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के जन औषधि केन्द्रों से जरूरी दवाएं नदारद हैं. मंडलीय, जिला व मानसिक रोग अस्पताल के अलावा रामनगर के लालबहादुर शास्त्रत्त्ी अस्पताल में त्वचा रोग, किडनी, पेट साफ करने की सिरप सहित कई दवाओं की शॉर्टेज है. विकल्प के रूप में मरीजों को अलग-अलग दवाओं के साल्ट दिए जा रहे हैं. ये साल्ट महंगे होने के नाते आम मरीजों की पहुंच से बाहर हैं.
सरकारी अस्पतालों में किसी दवा के न होने पर मरीजों को दिक्कत न हो, इसके लिए वहां जन औषधि केन्द्र खुले हैं. एक स्टोर पर 1500 से अधिक दवाएं होनी चाहिए लेकिन किसी भी जेनरिक स्टोर पर 350 से अधिक दवाएं नहीं हैं. कोई दवा है तो उसका कंबीनेशन नहीं मिलता.
ये प्रमुख दवाएं नहीं दर्द, सूजन और बुखार में उपयोगी एसिक्लो पैरा, त्वचा रोग में उपयोगी डर्माकेटी-5, पेट साफ करने वाली लैक्टोलॉस, मल्टी विटामिन लाइकोपेन, आंखों की मॉक्सी और लैट्रोपेन सहित कई दवाएं नहीं मिल रही हैं.
‘एमजी’ का फेर पांडेयपुर के मानसिक रोग अस्पताल में ‘एमजी’ के मानक से मरीज परेशान हैं. अस्पताल में ज्यादातर 25 और 75 एमजी की दवा लिखी जाती हैं. जबकि जेनरिक दवाएं 50,100 एमजी की बनती हैं.
वाराणसी न्यूज़ डेस्क