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Varanasi  ज्ञानवापी अरबी और फारसी में भी लिखे मिले हैं छह अहम वाक्य

अरबी और फारसी
 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वे में एएसआई को अरबी व फारसी में छह वाक्य भी लिखे मिले हैं. ये वाक्य  ही स्लैब पर अंकित है. स्लैब पर मिट्टी भरने से लिखावट स्पष्ट नहीं हो रही थी. एएसआई ने सफाई के बाद स्याही लगाई तो समझ में आया. उसमें मस्जिद निर्माण की जानकारी मिली है.
बताया गया है कि 1676-77 के बीच मस्जिद और 1792-93 में बरामदा व सहन आदि बनाया गया. एएसआई ने वाक्यों का अनुवाद भी किया है. 839 पेज की रिपोर्ट में पृष्ठ संख्या 117 से 121 के बीच में लिखा है कि दक्षिणी गलियारे में बने निचले स्टोर रूम में स्लैब जर्जर मिला. पिछले रिकॉर्ड के साथ तुलना की गई तो वास्तविक जानकारी मिली. ये स्लैब बलुआ पत्थर का है. पत्थर पर अरबी व ़फारसी में छह पंक्तियां मिलती है. अंतिम के दो पंक्तियों को जानबूझकर नष्ट किया गया है. 1965-66 में मिले इसी तरह के  अन्य शिलालेख का रिकॉर्ड भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नागपुर के कार्यालय ने सुरक्षित है. जिसकी व्याख्या पर उसका संदर्भ ज्ञानवापी सर्वे से भी जुड़ा. पहली पंक्ति में अल्लाहु अकबर, दूसरी में बिसस्मिल्लाहि अर्र-रहमान अर्र-रहीम, तीसरी में अशदु अन्ना ला इलाह इल्लल्लाह वाहा दुहू, चौथी में ला शारिका लहु वा अशदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु वा रसूलुहु, पांचवीं में दर सना 20 जुलुसु हज़रत आलमगीर ईन मस्जिद तय्यर शुदा दर सना 1207 हिजरी अल मु़कदस और छठवीं में (6) सैय्यद मिराथ अली मुतवल्ली मुरुथी मस्जिद ए मुसुफा मुरम्मत ए सहना वाघैरे नुमुदेह लिखा मिला. एएसआई ने पहले वाक्य का अनुवाद किया...ईश्वर महान है. भगवान (अल्लाह) के नाम पर, सबसे दयालु सबसे दयालु. मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अलावा कोई भगवान नहीं है, केवल  और अकेला है. वह बिना साझीदार है और मैं गवाह हूं कि मुहम्मद (स.) उसके गुलाम और रसूल हैं. हज़रत आलमगीर यानी मुगल बादशाह औरंगजेब के 20वें शासनकाल में 1207 हिजरी (1792-93 ई.) में इस मस्जिद का निर्माण कराया गया था और अंतिम वाक्य है- सैय्यद मिराथ अली मुतवल्ली द्वारा मस्जिद की मरम्मत बरामदे के साथ की गई.


ज्ञानवापी से जुड़ीं पुस्तकें खंगाली जाने लगीं
सर्वे रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद ज्ञानवापी के इतिहास से जुड़ी पुस्तकें खंगाली जाने लगीं. पुस्तकों की दुकानों व पुस्तकालय में डिमांड बढ़ गई है. हर कोई अब ज्ञानवापी के इतिहास के बारे में जानकारी लेने में जुट गया है. वहीं केस से जुड़े वादी व अधिवक्ता भी संदर्भ के लिए इतिहास की पुस्तकों व पुरातत्वों के सम्पर्क कर रहे हैं. बीएचयू शोधार्थियों में भी उत्सुकता बढ़ी है.


वाराणसी न्यूज़ डेस्क
 

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