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उदयपुर में अब चेहरा पहचान कर मिलेगा पोषाहार, वीडियो में जानें  आंगनबाड़ी सेवाओं की मॉनिटरिंग के लिए नई पहल

उदयपुर में अब चेहरा पहचान कर मिलेगा पोषाहार, वीडियो में जानें  आंगनबाड़ी सेवाओं की मॉनिटरिंग के लिए नई पहल

राजस्थान के उदयपुर जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाने वाली सेवाओं की निगरानी को और अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। जिले में अब गर्भवती महिलाओं को चेहरा पहचान प्रणाली (फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी) के माध्यम से पोषाहार वितरण किया जाएगा। यह पहल महिलाओं और बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

तकनीक आधारित वितरण से पारदर्शिता की ओर कदम

इस योजना के तहत अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को पोषाहार वितरण के समय उनकी पहचान उनके चेहरे के माध्यम से की जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला पर्यवेक्षकों को स्मार्टफोन प्रदान किए जा रहे हैं, जिनमें चेहरा पहचानने वाली विशेष एप्लिकेशन होगी।

उदयपुर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने बताया कि यह प्रणाली इस उद्देश्य से लाई गई है ताकि किसी भी तरह की फर्जीवाड़ा या दोहराव से बचा जा सके, और जरूरतमंद महिलाओं को ही लाभ मिल सके।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू

फिलहाल यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों पर शुरू की जा रही है। इसके सफल परीक्षण के बाद इसे पूरे जिले में लागू किया जाएगा। इससे केंद्रों पर लाभार्थियों की वास्तविक उपस्थिति दर्ज होगी और विभाग के पास पूरी जानकारी डिजिटल रूप में उपलब्ध रहेगी।

मोबाइल वितरण का कार्य जारी

इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं। इन स्मार्टफोनों में आवश्यक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया गया है, जिससे वे महिलाओं का चेहरा स्कैन कर उनके नाम, पंजीकरण संख्या और उपस्थिति दर्ज कर सकेंगी।

कुपोषण की निगरानी में भी मददगार

अधिकारियों के अनुसार यह प्रणाली कुपोषण से ग्रस्त महिलाओं और बच्चों की पहचान एवं ट्रैकिंग में भी उपयोगी सिद्ध होगी। इससे सरकार को हर लाभार्थी की स्वास्थ्य और पोषण स्थिति का ब्योरा मिलेगा, जिस आधार पर उन्हें विशेष पोषण सहायता दी जा सकेगी।

समाज में उत्साह और भरोसा

यह पहल आंगनबाड़ी सेवाओं को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। कई सामाजिक संगठनों और लाभार्थियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। गर्भवती महिलाओं का कहना है कि अब पोषाहार समय पर और बिना किसी भेदभाव के मिल पाएगा।

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