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मौलाना अरशद मदनी ने 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, फिल्म पर गंभीर आरोप

मौलाना अरशद मदनी ने 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, फिल्म पर गंभीर आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। मदनी ने दावा किया कि फिल्म में भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान के आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाला या उनके इशारे पर काम करने वाला दिखाया गया है।

फिल्म को सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा बताया

मौलाना अरशद मदनी ने अपने हलफनामे में फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को दुर्भावनापूर्ण और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा करार दिया है। उनका कहना है कि यह फिल्म एक नफरत और भेदभाव फैलाने की कोशिश कर रही है, और इससे समाज में और अधिक धार्मिक तनाव बढ़ सकता है। मदनी ने फिल्म के बारे में यह भी कहा कि हिंदी सिनेमा में पहले भी इस तरह के सांप्रदायिक संदेश दिए जाते रहे हैं, और यह फिल्म उस कड़ी का हिस्सा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी पर सवाल

मौलाना मदनी ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से गठित स्क्रीनिंग कमेटी के आदेशों पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि इस फिल्म के सांप्रदायिक प्रभाव को लेकर पहले से चिंता थी, तो स्क्रीनिंग कमेटी ने इसे अशुभ और विरोधी तत्वों के साथ जोड़ने का अवसर क्यों दिया। उनका यह आरोप है कि इस तरह की फिल्मों को बढ़ावा देने के बजाय, सरकार को सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाले कामों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

फिल्म के विवाद

'उदयपुर फाइल्स' फिल्म को लेकर पहले ही कई विवाद उठ चुके हैं। फिल्म में उदयपुर में हुए एक हत्या के मामले की कहानी को पेश किया गया है, जिसमें आरोप है कि इस फिल्म में एक विशेष धर्म और समुदाय को गलत तरीके से चित्रित किया गया है। फिल्म के निर्माता और निर्देशक का कहना है कि यह फिल्म सत्य पर आधारित है और उनका उद्देश्य केवल उस घटना की सच्चाई सामने लाना है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि फिल्म में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ाने की कोशिश की गई है।

मदनी का आरोप

मौलाना मदनी ने हलफनामे में यह भी कहा कि फिल्म में भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान और आतंकवादियों के साथ जोड़कर दिखाने से उनके धार्मिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने इसको देश की एकता और धार्मिक सद्भाव के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।

सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद

मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट से इस फिल्म के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है और इस पर रोक लगाने की अपील की है। उनका कहना है कि फिल्म के प्रदर्शित होने से भारत के मुसलमानों के खिलाफ घृणा और हिंसा की भावना को बढ़ावा मिलेगा, जो एक संविधानिक और सामाजिक समस्या बन सकती है।

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